Ranchi:भाजपा-आजसू के द्वारा झारखंड की सभी 14 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के एलान के बाद हर गुजरते दिन के साथ यह सवाल तेज होता जा रहा है कि रांची, धनबाद, चतरा और गोड्डा से कांग्रेस का चेहरा कौन होगा? आखिर किस चेहरे को आगे कर कांग्रेस अपनी सियासी विसात बिछायेगी. जैसे ही किसी एक नाम सुर्खियां में आता है. दूसरा खेमा भी अपनी दावेदारी के साथ सामने आता है, और अपने आप को रेस में मौजूद रहने का ताल ठोकता है. उधर दावेदारों की इस दौड़ में कांग्रेस के रणनीतिकार इस उलझन का शिकार हैं कि सामाजिक समीकरणों को कैसे साधा जाय, एक सीट पर बात उलझते ही, उसके साथ ही दूसरी सीट भी फंसी नजर आने लगती है, हालांकि अब दावा किया जा रहा है कि आज या कल इसकी घोषणा कर दी जायेगी और इसके साथ इस पहेली पर विराम लग जायेगा.
धनबाद में कुर्मी-महतो और बंगाली मतदाताओं का साधना बड़ी चुनौती
इस हालत में यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर कांग्रेस की इस उलझन का कारण क्या है, और पार्टी के रणनीतिकार किन-किन नामों पर विचार कर रहे हैं. इसमें सबसे अधिक उलझन धनबाद की सीट को लेकर है, जहां भाजपा ने ढुल्लू महतो के नाम को आगे कर पिछड़ा कार्ड खेल दिया है, और इस पिछड़ा कार्ड में कांग्रेस फंसती भी नजर आ रही है. क्योंकि कभी लाल गढ़ के रुप में विख्यात रहे धनबाद संसदीय सीट पर कुर्मी-महतो की आबादी करीबन 17 फीसदी है, सिंदरी विधान सभा में तो कुर्मी मतदाताओं की संख्या 55 से 60 फीसदी तक है. जबकि निरसा में बंगाली वोटरों की संख्या करीबन 60 फीसदी की है. कांग्रेस के सामने इस समीकरण को साधने की चुनौती है. हालांकि पार्टी के अंदर बेरमो विधायक अनुप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह की चर्चा तेज है, लेकिन भाजपा के पिछड़ा कार्ड को देखते हुए कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो के नाम पर भी विचार किये जाने की खबर है, लेकिन इसके साथ ही एक चौंकने वाला नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर का भी है, दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस की इस उलक्षन के बीच राजेश ठाकुर भी अपना सियासी विसात बिछाने में पीछे नहीं है. इस हालत में अंतिम बाजी किसके हाथ रहती है, कहना मुश्किल है.
रांची में रामटहल की इंट्री से उलझा गणित!
जहां रांची संसदीय सीट पर पहले सुबोधकांत का नाम फाइनल माना जा रहा था, वहीं राम टहल चौधरी की इंट्री के बाद इस सीट पर भी उलझन बढ़ती दिखलायी देने लगी है, खबर है कि राम टहल चौधरी की इंट्री के बाद भी सुबोधकांत पीछे हटने को तैयार नहीं है, उनकी चाहत इस सीट से अपनी बेटी को उतारने की है, इस हालत में रामटहल चौधरी की भूमिका क्या होगी, एक बड़ा सवाल है, लेकिन इन दोनों नामों के साथ ही रांची संसदीय सीट से मंत्री बन्ना गुप्ता को उतरने की खबर है. वैसे भी अब तक इंडिया गठबंधन की ओर से किसी वैश्य को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है. इस हालत में बन्ना गुप्ता की दावेदारी का हश्र क्या होगा? कहना मुश्किल है. यदि कांग्रेस वैश्यों प्रतिनिधित्व देने पर विचार करती है, तो उस हालत में बन्ना गुप्ता की संभावना भी बन सकती है. लेकिन सवाल फिर वही है, उस हालत में राम टहल चौधरी की भूमिका क्या होगी? और इससे कुर्मी मतदाताओं के बीच कोई नाकारात्मक संदेश तो नहीं जायेगा? कांग्रेस के रणनीतिकारों को इस सवाल का जवाब भी तलाशना होगा.
गोड्डा में प्रदीप यादव के नाम पर फिर से बढ़ा संशय
अभी चंद दिन पहले तक गोड्डा से प्रदीप यादव का नाम अंतिम माना जा रहा था, इधर निशिकांत दुबे यह ताल भी ठोक रहे थें कि यदि उनके सामने प्रदीप यादव आते हैं, तो वह एक दिन पर भी अपना प्रचार- प्रसार के लिए नहीं जायेगा, सीधे जीत का वरमाला पहनने निकलेंगे, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि प्रदीप यादव की इंट्री की चर्चा तेज होते ही निशिकांत अब हर दिन अपने सोशल मीडिया पर एकाउंट से उन पर हमला तेज कर रहे हैं, जिसके बाद सियासी हलकों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि यदि निशिकांत को प्रदीप यादव से कोई खतरा नहीं है, तो फिर यह हमला क्यों? निशिकांत दुबे की कोशिश तो प्रदीप यादव को उम्मीदवार बनवाये जाने की होनी चाहिए थी, ताकि उनकी सियासी राह सुगम हो. हालांकि निशिकांत के इस ट्वीर वार अब इंडिया गठबंधन के अंदर एक बार फिर से पुनर्विचार की खबर है. इस हालत में दीपिका पांडेय सिंह की इंट्री की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता. इस बीच खबर इस बात की भी है कि झामुमो अभी भी इस सीट को अपने हिस्से में लेना चाहती है. ताकि निशिकांत के सामने एक मजबूत चुनौती पेश की जा सके. अंदरखाने चर्चा इस बात को लेकर भी तेज है कि झामुमो इस सीट से भाजपा के एक पूर्व विधायक को उम्मीदवार बनाना चाहती है और यदि ऐसा होता है निशिकांत की राह थोड़ी मुश्किल भी हो सकती है. दावा तो इस बात का भी है यदि उस पूर्व विधायक को इंडिया गठबंधन का टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय भी मैदान में कूद कर भाजपा की राह को मुश्किल बना सकते हैं.
चतरा में गिरिनाथ सिंह की इंट्री से कांग्रेस हलकान?
लेकिन कांग्रेस की सबसे बड़ी उलझन चतरा में दिख रही है, यहां उसके सामने चुनौती प्रत्याशियों के एलान का नहीं है, उसकी चुनौती तो लालू यादव के फरमान को अनदेखी करने का है, जिस तरीके से लालू यादव ने एन वक्त पर गिरिनाथ सिंह का पार्टी में इंट्री करवायी, और खबर है कि लालटेन चुनाव चिह्न भी थमा दिया, उसके बाद कांग्रेस सांसे रुकी नजर आ रही है, दावा किया जाता है कि लालू यादव ने राजेश ठाकुर को फोन कर गिरिनाथ सिंह की उम्मीदवारी पर मुहर लगाने को कहा है, जिसके बाद राजेश ठाकुर ने अपनी असमर्थता जाहिर करते हुए पार्टी आलाकमान से बात करने की बात की है, उसके बाद गिरिनाथ सिंह दिल्ली निकल पड़े हैं, इस हालत में सवाल खड़ा होता है कि क्या मल्लिकार्जून और राहुल गांधी लालू के इस फरमान को अनदेखी करने की जोखिम मोल लेंगे और खासकर तब जब झारखंड में भाजपा के खिलाफ राजपूत जाति के मतदाताओं के बीच एक नाराजगी की खबर भी सामने आ रही है, तो क्या कांग्रेस के रणनीतिकार लालू के इस पसंद पर अपनी मुहर लगाकर राजपूत जाति के बीच पसरती इस नाराजगी में अपना सियासी दांव खेलेंगे. हालांकि चतरा सीट पर पलामू का दिग्गज कांग्रेसी के. एन. त्रिपाठी की भी नजर है, लेकिन जिस बाहरी-भीतरी के खेल में भाजपा को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा, क्या कांग्रेस वहां एक बाहरी उम्मीदवार पर दांव लगाने का जोखिम लेगी? इन सारे सवालों का जवाब के लिए कांग्रेस की सूची का इंतजार करना होगा. लेकिन इतना तय है कि हर गुजरते दिन के साथ भाजपा को अपनी ताकत विस्तार का मौका मिल रहा है. जहां उसके प्रत्याशी चुनावी समर में उतर कर जीत की हुंकार लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों का एलान में ही हांफती नजर आ रही है और इसका असर उसके चुनावी परिणाम पर भी देखने को मिल सकता है.
Recent Comments