टीएनपी डेस्क(TNP DESK): राजनीति में कोई किसी का अपना नहीं होता. राजनीति में रिश्ते बनते और बिगड़ते रहते हैं. ऐसा ही हाल बिहार की वर्तमान राजनीति का है. बिहार में कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाने वाले दो नेता आज उनके सबसे बड़े विरोधी बन गए हैं. एक हैं आरसीपी सिंह और एक हैं प्रशांत किशोर. ये दोनों ही नेता कभी नीतीश कुमार के चहेते हुआ करते थे. मगर, आज हर जगह ये दोनों नीतीश कुमार के विरोध में ही बयान देते नजर आते हैं.
आरसीपी सिंह ने मंत्री पद पर दी सफाई
आरसीपी सिंह की बात करें तो राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद उनमें और नीतीश कुमार के बीच खटपट की खबरें आ रही थी, जिसके बाद आरसीपी सिंह ने जदयू से इस्तीफा दे दिया. इसी इस्तीफे को बिहार मेंबीजेपी और जदयू के गठबंधन टूटने का कारण भी माना गया. इसी बीच खबर आई कि नीतीश कुमार की मर्जी के बिना ही आरसीपी सिंह केन्द्रीय मंत्री बने थे. इसके बारे में अब आरसीपी सिंह ने सफाई दी है और नीतीश कुमार पर जमकर हमला भी बोला है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा के नूरसराय प्रखंड अंतर्गत दरुआरा पंचायत के कुंडी गांव में आयोजित आम जनता मिलन समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि 2017 में जब बिहार में बीजेपी और जदयू की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री ने जदयू की ओर से इसके सदस्यों को केन्द्रीय मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया.
मगर, नीतीश कुमार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. उन्हें डर था कि अगर कोई नेता केंद्र में मंत्री बन गया तो उनके कद की बराबरी कर लेगा. इसके बाद 2021 में भी गृह मंत्री ने मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया. मगर, नीतीश कुमार ने इस बार फिर मना कर दिया और कह दिया कि आरसीपी सिंह से बात कीजिए. क्योंकि मैं अध्यक्ष था. जब गृह मंत्री ने मुझे मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया तो मैंने मना किया कि अध्यक्ष होते हुए मैं खुद मंत्री कैसे बन सकता हूँ. इसके बाद नीतीश कुमार और बाकी नेताओं के कहने पर मैं मंत्री बना. नीतीश कुमार ने फोन कर मुझे बधाई भी दी थी. अब वे पलट जा रहे हैं.
प्रशांत किशोर ने भी सरकार के खिलाफ किया कटाक्ष
वहीं नीतीश के एक और पुराने करीबी प्रशांत किशोर राज्य सरकार के खिलाफ जन सुराज यात्रा पर निकले हैं. इस दौरान वे दरभंगा पहुंचे. मीडिया से प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि बिहार में नई राजनीतिक व्यवस्था और सत्ता परिवर्तन करना उनका उद्देश्य है. उनका उद्देश्य मुख्यमंत्री बनना नहीं है. इससे बड़ी सोच लेकर उन्होंने अभियान की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि दस वर्ष में बिहार देश का अग्रिम राज बनेगा. उन्होंने इस दौरान नीतीश कुमार नई सरकार पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि 2015 में आपराधिक छवि के कारण जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नही किया गया था. आज वे ही बिहार में मंत्री बन गए हैं. कुल मिलाकर बात ये है कि नीतीश के दो पुराने सहयोगी आज उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गए हैं. मामला राजनीतिक ही सही मगर, अगले चुनाव में ये दोनों नीतीश कुमार के लिए बड़ी चिंता बनने वाले हैं.
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