टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : धनबाद जिले के कतरास क्षेत्र में शुक्रवार को हुआ भू-धंसान हादसा पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया. मां अंबे माइनिंग आउटसोर्सिंग परियोजना के पैच में अचानक चट्टानों और मिट्टी का बड़ा हिस्सा धंस गया, जिसकी चपेट में आकर एक सर्विस वैन लगभग 400 फीट गहरी खाई में जा गिरी. इस दर्दनाक हादसे में अब तक कुल आठ लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. हादसे के बाद से ही प्रशासन और बचाव दलों ने संयुक्त रूप से चलाए गए ऑपरेशन में बड़ी मशक्कत के बाद सभी शवों को बाहर निकाला.
जाने हादसा कैसे हुआ?
शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे मां अंबे माइनिंग आउटसोर्सिंग परियोजना में सामान्य दिनचर्या का काम चल रहा था. तभी अचानक खदान का बड़ा हिस्सा धंस गया. हादसा इतना भीषण था कि सर्विस वैन सीधा नीचे पानी से भरी गहरी खाई में समा गई. वैन में सवार सभी कर्मचारी और मजदूर उसी वक्त लापता हो गए. घटना की खबर फैलते ही पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई और परिजनों के रोने-बिलखने की आवाजें गूंज उठीं.
26 घंटे की जद्दोजहद
घटना के तुरंत बाद माइन रेस्क्यू टीम को मौके पर बुलाया गया. दोपहर 1:40 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन औपचारिक रूप से शुरू हुआ. करीब एक घंटे बाद मुनीडीह से गोताखोरों की टीम भी मौके पर पहुंची और 3 बजे से पानी में उतरकर तलाश शुरू की.
* सबसे पहले 2:45 बजे माइन रेस्क्यू टीम ने एक शव को बरामद किया
* इसके बाद क्रमशः 4:10 बजे, 4:40 बजे, 4:45 बजे और 5:00 बजे तक पांच शव निकाले गए.
* शुक्रवार देर शाम तक पांच शवों को बाहर लाया जा चुका था, लेकिन खाई की गहराई और पानी की वजह से रेस्क्यू कार्य बेहद मुश्किल हो गया.
* शनिवार को सुबह 11 बजे रांची से एनडीआरएफ की विशेष टीम भी मौके पर पहुंची. कमांडेंट सुनील कुमार सिंह के नेतृत्व में दो नौकाओं के सहारे ऑपरेशन को आगे बढ़ाया गया. इस दौरान टीम को बड़ी सफलता मिली और वैन के चालक गयासुर दास का शव 11:50 बजे गहरे पानी से बरामद किया गया.
हालांकि, रेस्क्यू के दौरान सबसे बड़ी चुनौती तब सामने आई जब दो शव खाई में चट्टानों से लटके मिले. इन्हें बाहर निकालना जोखिम से भरा था. ऐसे में रामकनाली कोलयारी के रेस्क्यू सदस्य राजेश मंडल (50 वर्ष) और रंजीत मुखर्जी (45 वर्ष) ने अपनी जान पर खेलकर शवों को पानी में गिराया और फिर गोताखोरों ने उन्हें बाहर निकाला. यह शव दोपहर 3 बजे तक बाहर लाए जा सके. इस तरह कुल आठ शवों को 26 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया.
मृतकों की पहचान
अब तक बरामद आठ शवों में छह की पहचान कर ली गई है. इनमें से अमन कुमार, स्वरूप गोप, अमित भगत, गयासुर दास (ड्राइवर), राहुल रवानी, रूपक महतो शामिल हैं. बाकी दो शवों की शिनाख्त अब तक नहीं हो पाई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये दोनों अवैध खनन से जुड़े मजदूर हो सकते हैं, जो घटना के वक्त वैन में सवार थे.
इस हादसे के लिए जिम्मेदार कौन
अब सवाल उठता है कि आखिर इस हादसे की जिम्मेदारी किसकी है. बीसीसीएल (Bharat Coking Coal Limited) का दावा है कि सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था. वहीं स्थानीय लोगों और मजदूर संगठनों का कहना है कि खदान के अंदर अवैध उत्खनन और सुरक्षा उपायों की अनदेखी इस त्रासदी की वजह बनी. झारखंड सरकार ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. खनन विभाग और जिला प्रशासन को पूरी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा भी जल्द की जा सकती है.
इलाके में ग़म और गुस्से का माहौल
हादसे के बाद से कतरास क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है. जिन परिवारों ने अपने बेटे, पति या पिता को खोया है, उनके घरों में चीत्कार गूंज रही है. स्थानीय लोग गुस्से और दर्द में हैं. उनका कहना है कि यह हादसा टाला जा सकता था अगर सुरक्षा उपायों को सही से लागू किया जाता और अवैध खनन पर अंकुश लगाया जाता.
भविष्य को लेकर सवाल
कतरास और धनबाद क्षेत्र कोयला खनन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यह इलाका हादसों और भू-धंसानों के लिए भी कुख्यात रहा है. आए दिन यहां छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अवैध खनन और सुरक्षा मानकों की अनदेखी जारी रहेगी, तब तक ऐसे हादसे रुकना मुश्किल है. इस ताजा घटना ने एक बार फिर खनन क्षेत्र में मजदूरों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
घटना आने वाले समय के लिए चेतावनी
कतरास हादसा सिर्फ एक खदान दुर्घटना नहीं, बल्कि चेतावनी है कि अगर अवैध खनन और लापरवाही पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और भी बड़े पैमाने पर सामने आ सकती हैं. आठ मजदूरों की मौत ने एक बार फिर सरकार, प्रशासन और खनन कंपनियों को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन आगे क्या होगा इसका जबाब देना आसान नहीं, ये तो बस चेतावनी है.
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