लोहरदगा (LOHARDAGA) - शराब के रुप में जहर बनने वाली महुआ अब लोहरदगा में ग्रामीणों को बीमारियों से मुक्त कराने के साथ साथ स्वस्थ करने का भी काम कर रही है. 

प्रतिवर्ष होता है लाखों टन महुआ का उत्पादन 
झारखंड में महुआ प्रकृति की देन है. जंगलों में महुआ पेड़ प्रतिवर्ष लाखों टन महुआ का उत्पादन स्वाभाविक रूप से करते हैं. लेकिन इस महुआ का उपयोग झारखंड में शराब बनाने के लिए किया जाता है. बता दें कि लोग बड़ी मात्रा में  महुआ से शराब बना कर प्रतिदिन पीते हैं. झारखंड में महुआ के शराब की वजह से सैकड़ों ग्रामीणों की मौत प्रतिवर्ष हो जाती है. लेकिन शराब बनकर मौत बांटने वाला अब महुआ लोहरदगा में लोगों को बीमारियों से उबारने का काम कर रहा है. शराब रूपी नशा का स्वरूप देने वाला महुआ अब लोगों की जिंदगी बचा रहा है. यह सब कमाल कर दिखाया किस्को प्रखंड के अति पिछड़ा इलाके का यह सलैया अंबाटोली गांव. 

महुआ को बनाया जीवनदायिनी

इस गांव की महिलाओं ने शराब का रुप बनने वाले महुआ को जीवनदायिनी बना दिया है. जो ग्रामीण पहले शराब की मांग इन महिलाओं से किया करते थे, वही ग्रामीण महुआ से बने मिठाई और अचार की मांग अब किया करते हैं. लोहरदगा में यह कमाल नक्सल प्रभावित क्षेत्र की इन महिलाओं ने कर दिखाया है. जंगल के किनारे बसे इस गांव ने महुआ के मायने को बदल कर रख दिया है. कभी इन महिलाओं का बिजनेस महुआ से शराब बनाकर बेचना ही था. लेकिन अब यह महुआ से बने मिठास और चटपटे अचार को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का कार्य कर रही हैं. महुआ के बने लड्डू और आचार की पौष्टिकता ने इसकी मांग बढ़ा दी है. महुआ ने बदलते स्वरूप ने इन्हें सम्मान भी दिलाने का काम किया है. 

हो रही महिलाओं की प्रशंसा

महुआ के स्वरूप को बदलने का काम करने वाले इन महिलाओं के मेहनत की डीसी वाघमारे प्रसाद कृष्ण ने भी प्रशंसा की .  इन्होंने कहा कि महुआ जो झारखंड में शराब के रूप में इस्तेमाल किया जाता है उसके स्वरूप बदलने से कितने फायदे होंगे यह इन्हें भी नहीं पता था. आगे इन्होंने कहा कि महुआ का लड्डू बनाने वाली इन महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराने के साथ-साथ एक पहचान दिलाने की दिशा में भी काम करेंगे. ताकि इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो. इसके साथ ही पलास के माध्यम से इन महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया जाएगा. ताकि महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ-साथ लोहरदगा की भी एक अपनी पहचान मिल सके. शराब के रूप में इस्तेमाल होने वाले इस महुआ का इस्तेमाल अधिकाधिक संख्या में लड्डू और अन्य चीजों को बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा. जिला प्रशासन पूरी तरह से इस विषय को लेकर गंभीर है. साथ ही राज्य सरकार के निर्देशानुसार सहयोग लेकर भी इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने की दिशा में जिला प्रशासन कार्य करेगी. 

फायदेमंद महुआ की मिठाई 

महुआ का लड्डू बनाने के बाद इसके फायदे बढ़ जाते हैं. इस लड्डू को खाने से किसी प्रकार का कोई नशा या नुकसान नहीं होता. बल्कि गठिया और शरीर के कई बीमारियों में यह लगातार फायदेमंद रहता है. महुआ का स्वरूप बदलते ही इसके फायदे बदल जाते हैं और महुआ को नशा के रूप में इस्तेमाल करने से नुकसान सामने आने लगता हैं. अब देखना है कि लोग इसे किस रूप में स्वीकार करते हैं लेकिन इन महिलाओं ने महुआ को जीवनदायिनी बना कर यह साबित कर दिया कि किसी भी वस्तु का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए तो वह लाभकारी और हितकारी होता है. 

रिपोर्ट : गौतम लेनिन, लोहरदगा