जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): जमशेदपुर के प्रभारी सिविल सर्जन डा ए.के. लाल की बर्खास्तगी से काम नहीं चलेगा. बल्कि इस मामले की लीपापोती करने, फाइल दबाने और समय पर कार्रवाई करने की जगह डा.ए.के. लाल को प्रमोशन देकर प्रभारी सिविल सर्जन बनाने पर सीएम हेमंत सोरेन को संज्ञान लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को बर्खास्त कर देना चाहिए या उनका विभाग बदल देना चाहिए. सरयू राय ने द न्यूज़ पोस्ट को एक्सक्लूसिव बाइट देते हुए कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था जिस तरह चरमरा गई है. सीएम को संज्ञान लेकर कार्रवाई करना चाहिए. एमजीएम और अन्य अस्पतालों में मरीजों को ढंग से इलाज नहीं मिल पाता. उन्हें बात बात पर रिम्स रेफर किया जाता है.ग्रामीण क्षेत्र में तो और भी हालत खराब है.अगर सीएम वाकई गंभीर हैं तो स्वास्थ्य मंत्री पर कार्रवाई करें. दिवंगत स्किन स्पेशलिस्ट डा.आरपी ठाकुर की याद में आयोजित मेगा मेडिकल कैंप में शिरकत करने पहुंचे सरयू राय ने द न्यूज़ पोस्ट से यह बात कही.

क्या है प्रभारी सिविल सर्जन की बर्खास्तगी का पूरा मामला

पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) के प्रभारी सिविल सर्जन डा.अरविंद कुमार  लाल को झारखंड सरकार ने 30मार्च की कैबिनेट की बैठक में बर्खास्त कर दिया. उन पर सरकारी पद में रहते हुए बगैर इस्तीफा दिए 2005में बिहार के झंझारपुर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के आरोप थे. कैबिनेट की बैठक के संबंध में प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है. डॉ अरविंद कुमार लाल, तत्कालीन चिकित्सा पदाधिकारी, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,जारं वैशाली बिहार संप्रति  प्रभारी सिविर सर्जन, जमशेदपुर को सेवा से बर्खास्त करने की स्वीकृति दी गई.

अपनी तरह का यह अनोखा मामला है जहां 13सालों से जांच चल रही थी.जांच में दोषी पाने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही थी.2009में ये मामला सबसे पहले उठा तब झारखंड सरकार ने एक विभागीय कमेटी बनाई.कमेटी ने आरोपों को सही पाया.जब डॉ एके लाल ने झंझारपुर, बिहार से चुनाव लड़ा तब वे बिहार के वैशाली जिले में पदस्थापित थे.बाद में वे झारखंड आ गए.विभागीय कमेटी की जांच में आरोप सही पाए जाने पर तीन तीन बार उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया लेकिन वे टालते रहे.

सरयू राय ने विधानसभा में उठाया

जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने न सिर्फ लगातार इस मामले को लगातार विधानसभा में उठाया बल्कि पंचम विधानसभा के बजट सत्र में डा ए.के. लाल की बर्खास्तगी की फाइल को दबाने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया.इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने बर्खास्तगी की सहमति प्रदान कर दी.उसके बाद प्रक्रिया के तहत इसे झारखंड लोक सेला आयोग के पास सहमति के लिए भेजा गया,वहां से मंजूरी के बाद इसे कैबिनेट में लाया गया और अंतत: बर्खास्तगी हुई.

रिपोर्ट: अन्नी अमृता, ब्यूरो हेड, जमशेदपुर