रांची (RANCHI) : पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की लिखी किताब सनराइज ओवर अयोध्या नेशनहूड इन आवर टाइम (sunrise over ayodhya nationhood in our times) पर बवाल मचा है और इसकी धधक अब झारखंड में भी महसूस हो रही है. किताब में खुर्शीद ने हिन्दुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हरम से कर दी है.  किताब के चर्चा में आने के बाद से इस मुद्दे को लेकर झारखंड में सियासी उठापटक शुरू हो गई है. जहां एक ओर कांग्रेसी नेता इस किताब कुछ बोलने से बचते नजर आए, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने इस मसले पर कांग्रेस पर जम कर निशाना साधा.

भाजपा ने किया वफादारी पर सवाल


बता दें कि खुर्शीद ने अपनी किताब में लिखा है कि सनातन और शास्त्रीय हिंदू धर्म को संतों और मनीषियों के लिए जाना जाता है, उसे मौजूदा हिंदुत्व किनारे कर रहा है और उसके तमाम स्वरूप आईएसआईएस और बोको हराम जैसे इस्लामी संगठन जैसे हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने इस किताब के बहाने कांग्रेस पर हमला बोला. कहा कि जिसकी सोच घटिया होगी, वही ऐसी किताब लिखेगा. उन्होंने सीधे शब्दों में कह दिया कि सलमान खुर्शीद की देश के प्रति कोई वफादारी ही नहीं. आरोप लगाया कि कांग्रेस हिंदुओं के खिलाफ ही सारे काम करती है.

कांग्रेस की नसीहत, पहले पढ़ें फिर बोलें


 उधर कांग्रेसी नेता और झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने  भाजपा की बयानबाजी पर तगड़ी नसीहत दे डाली. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा वाले पहले किताब को अच्छे तरीके से पढ़ लें, तभी कुछ कहें. सिर्फ मीडिया में बतौलेबाज़ी करने से और सुर्खियों में  बने रहने से कुछ नहीं होगा. कांग्रेस कोटे से ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें उस बात की कोई जानकारी ही नहीं है. अब आप यह समझ सकते हैं कि इस किताब को लेकर एकतरफ देश में बवाल मचा हुआ है. लेकिन दुर्भाग्य है कि झारखंड के मंत्री को पता ही नहीं है कि हुआ क्या है. अगर पता भी होगा तो वह शायद कंट्रोवर्सी में फंसना नहीं चाहते.


बहरहाल भाजपा के हाथ एक नया मुद्दा लगा है. इस मुद्दे पर आश्चर्यजनक रूप से उन्हें एक सहयोगी भी मिल गया है. वह हैं वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद. उन्होंने किताब के विवादास्पद हिस्से को तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया है. कहा कि हम हिंदुत्व के साथ एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन आईएसआईएस और जिहादी इस्लाम के साथ इसकी तुलना करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिश्योक्ति है.