जमशेदपुर (JAMSHEDPUR)  आए दिन झारखंड की लड़कियों –महिलाओं को राज्य से बाहर बेचने या उन्हें रेस्क्यू करने की खबरें आती रहती हैं. ताज़ा मामला जमशेदपुर के बागबेड़ा का है जहां बहादुरी दिखाकर खुद को बेचे जाने से बचाकर भी एक नाबालिग बच्ची अब भी अपने परिजनों से दूर है और मध्य प्रदेश के एक आश्रम में फंसी हुई है.

क्या है मामला

दरअसल  बागबेड़ा की रहनेवाली नाबालिक बच्ची रानी देवगम को फरवरी 2020 में एक महिला बगैर परिजनों की अनुमति के बहला फुसलाकर काम के बहाने मध्य प्रदेश ले गई. वहां उस महिला ने बच्ची को बेचने का प्रयास किया. लेकिन बहादुर रानी ने अपने परिजनों को फोन पर सूचित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने स्थानीय थाने को सूचना दी. इसके बाद चाईल्ड लाईन की सूचना पर  मध्य प्रदेश के स्थानीय प्रशासन ने रानी को बचा लिया और कार्रवाई करते हुए आऱोपी महिलाओं को पकड़कर रानी देवगम को सागर आश्रम में सकुशल पहुंचा दिया. तब सागर आश्रम की संचालिका ने रानी के परिजनों को फोन करके अपनी बेटी को वापस ले जाने को कहा. लेकिन परिजनों के जाने पर भी आश्रम की ओर से बेटी नहीं सौंपी गई, उल्टे कहा गया कि 18 वर्ष की होने पर सौंपा जाएगा.

डेढ़ साल से परिजन कर रहे इंतजार

इस बात को डेढ़ साल से ज्यादा हुए लेकिन आज तक परिजन गुहार ही लगा रहे हैं. थक हारकर पिता बुचुंग देवगम ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से पत्र लिखकर गुहार लगाई है. अब तक कोई प्रशासनिक पहल न होती देख परिजनों ने पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी से मदद मांगी.  कुणाल षाडंगी ने ट्वीट कर मध्य प्रदेश के सीएम से मदद का निवेदन किया है साथ ही झारखंड पुलिस से आग्रह किया है कि वे बच्ची के परिजनों से संपर्क कर मदद करें. ट्वीट को झारखंड सीएमओ को भी टैग किया गया है. इस पूरे मामले में खास बात ये रही कि जैसे ही बच्ची को भान हुआ कि वो बेची जानेवाली है उसने जमशेदपुर अपने परिजनों को फोन कर दिया जिसके बाद चाईल्डलाईन की मदद से स्थानीय मध्य प्रदेश का प्रशासन हरकत में आय़ा, लेकिन बहादुरी दिखाकर भी बच्ची अब तक अपने परिजनों से दूर है और परिजन परेशान हैं.