गांव की पहचान बन गया हैं भगवान विष्णु का पद चिन्ह...
बोकारो जिले के चास प्रखंड के कुम्हरी गांव में दामोदर नदी और दामोदर जोरिया के किनारे एक पहाड़ पर मौजूद है भगवान विष्णु का पद चिन्ह, जो कई वर्षों से इस गांव की पहचान बना हुआ हैं। यहां भगवान विष्णु के पद चिन्ह की पूजा ना केवल स्थानीय लोग करते हैं, बल्कि इसकी पूजा दूर-दराज के गांव के लोग भी विशेष तौर पर आकर करते हैं। इस जगह का दृश्य काफी मनोरम है । जहां जोरिया से पानी का झरना लगातार बहता रहता हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। इस दृश्य का लुत्फ उठाने लोग कई जगहों से आते हैं और साथ ही भक्ति भाव से भगवान विष्णु के पद चिन्ह की पूजा अर्चना करते हैं। इस पद चिन्ह वाले स्थल से महज कुछ ही दूरी पर भगवान भोलेनाथ का स्वयंभू शिवलिंग है, जो आदि काल से यहां अवस्थित है। जिसको चेचका धाम के रूप में जाना जाता है। इस स्थल से सटे दामोदर नदी के उस छोर पर धनबाद जिला अवस्थित है।
भगवान विष्णु के पद चिन्ह की पूजा ना केवल स्थानीय लोग करते हैं, बल्कि इसकी पूजा दूर-दराज के गांव के लोग भी विशेष तौर पर आकर करते हैं।
रहस्यमयी लिपि की कहानी बयां करता है भगवान विष्णु का पद चिन्ह...
भगवान विष्णु के पद चिन्ह के बाहर एक शिला है जिस पर कुछ लिखा हुआ है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि शिला में जो लिपि में बात लिखीं गई हैं इसमें खजाना का कोई रहस्य छिपा हुआ हैं। लेकिन इस शिला में जिस लिपि में बात लिखीं गई है उसे आज तक कोई पढ़ नहीं पाया है और अब तक उससे जुड़ा रहस्य बना हुआ हैं।
भगवान विष्णु के पद चिन्ह में जो लिपि में बात लिखीं गई हैं इसमें खजाना का कोई रहस्य छिपा हुआ हैं।
क्या हैं इस स्थल की पौराणिक गाथा...
पूर्वजो के बताने के अनुसार स्थानीय लोगों की मान्यता है कि सतयुग में भगवान विष्णु इस मनोरम जगह पर आए थे और इस जोरिया नदी के निकट भगवान जगन्नाथ के मंदिर की स्थापना करना चाहते थे। लेकिन उसी बीच करीब रात के 12 बजे मुर्गे ने आवाज लगा दी, जिसके कारण भगवान विष्णु ने जगन्नाथ मंदिर को यहां स्थापित करने के बजाए उसे जगन्नाथपुरी ले गए। ऐसे में भगवान विष्णु ने जगन्नाथ मंदिर की स्थापना जगन्नाथपुरी में की। यहाँ से जाने के दौरान भगवान विष्णु ने शिला में अपने पद चिन्ह को छोड़ दिया ताकि लोगों को इसका दर्शन प्राप्त हो सके।
बड़े-बड़े साधु-संत भी पद चिन्ह की लिपी पढ़ने में रहें हैं असफल...
स्थानीय लोगों के मुताबिक भगवान विष्णु के पद चिन्ह वाले शिला पर लिखीं लिपि को पढ़ने के लिए अखंड मंडलेश्वर श्री श्री स्वामी स्वरूपानंद परमहंस देव जी भी यहाँ आए थे, लेकिन उन्हें भी लिपि को पढ़ने में सफलता नहीं मिल पाई। इसके अलावा कई साइंटिस्ट भी इस लिपि को पढ़ने में असफल रह चुके हैं।
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