देवघर| पेड़े की सोंधी खुशबू और अपने लज़ीज स्वाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर देवघर के जो पेड़े की दुकानें तीर्थयात्रियों और खरीददारों से हमेशा गुलजार रहा करती थीं।आज यहाँ चारो ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। पिछले 17 महीने से अधिक दिनों के कोरोना बंदी के कारण तब से इन दुकानों का शटर डाउन है।नतीजा है कि लगभग 5 से 6 सौ करोड़ का बाजार इनका प्रभावित हुए है और करोड़ो रुपये का इनका तैयार पेड़ा और कच्चा माल सड़ कर बर्बाद हो गया।दुकान बंद और काम नही मिलने से रोज कमाने खाने वाले पेड़ा कारीगरों के सामने भी विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है।
कोरोना बंदी के कारण पेड़ा उद्योग पूरी तरह से पड़ा ठप
देवघर और इससे सटे घोरमारा दोनो जगहों की बात करें तो लगभग 3 हज़ार पेड़ा की दुकानें हैं।एक अनुमान के अनुसार दोनों जगहों पर सालाना यहां लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपये का पेड़े का कारोबार होता है..सिर्फ इस पेड़ा उद्योग से लाखों लोगों की आजीविका चलती है।लेकिन कोरोना बंदी के कारण पेड़ा व्यवसायी सहित इस धंधे से जुड़े हज़ारों लोग बेरोजगार हो कर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।अब इन्हें फिर से पैर पर खड़ा करने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई जा रही है।
पेड़ा उद्योग से चलती है लाखों लोगों की आजीविका
देवघर में लाखों लोगों की रोजी-रोटी बाबा मंदिर पर निर्भर है।ऐसे में अन्य लोगों के साथ यहाँ के पेड़ा व्यवसायियों को भी अब कोरोना काल मे सरकार से मंदिर में चहल-पहल बढ़ाने और तीर्थयात्रियों का आवागमन शुरू होने के आदेश का इंतजार है।
रिपोर्ट -ऋतुराज कुमार/देवघर
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