जमशेदपुर(JAMSHEDPUR)-भोजपुरी संगीत की मिठास जगजाहिर है. पंडित भिखारी ठाकुर की बात करें या किसी और की इसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से भोजपुरी फिल्मों, गीत संगीतों में जो फूहड़ता और अश्लीलता परोसी जा रही है. जिसके कारण इस मीठी भाषा का ना सिर्फ गलत प्रदर्शन किया है बल्कि इसे आम जनमानस से दूर भी कर दिया है.व्यवसायिक प्रतिस्पर्द्धा के इस युग में भोजपुरी को हर दिन बर्बाद होते देख जैसे बिहार में नेहा अरोड़ा सामने आई है, वैसे ही झारखंड के जमशेदपुर वरिष्ठ नागरिक मंच के केन्द्रीय अध्यक्ष शिवपूजन सिंह ने भी बीड़ा उठाया है.शिवपूजन सिंह ने अपना प्रोडक्शन हाउस खोला है जिसका नाम है “सिंह भोजपुरी फिल्म प्रोडक्शन हाऊस’’ .इसके तहत देश के लिए शहीद होनेवाले सैनिकों और कोरोना काल के प्रवासी मजदूरों की आत्मकथा को संगीत में पिरोकर वीडियो एलबम के रूप में लोगों के सामने लाया जाएगा. भोजपुरी में सभी गीत खुद शिवपूजन सिंह ने लिखे हैं जिसे सोमा चौधरी ने स्वर दिया है. गानों की शूटिंग स्वर्णरेखा नदी के किनारे गांधी घाट और अन्य जगहों पर हो रही है.सबसे दिलचस्प बात ये है कि शिवपूजन सिंह ने कलाकारों को उनसे सीधे जुड़ने का आह्वान किया है.उन्होंने खुलकर कहा है कि जिन्हें उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा है वे उनसे उनसे सीधे संपर्क कर सकते हैं.साथ ही शिवपूजन ने कहा है कि हुनरमंद कलाकारों को वे मंच प्रदान करेंगे. वैसे लोग जो भोजपुरी की समृद्ध विरासत को बचाना चाहते हैं उनसे जुड़ सकते हैं.
हुनरमंदों को पहचान देने कि है कोशिश
अपने प्रोडक्शन हाऊस के माध्यम से शिवपूजन हुनरमंदों को एक पहचान देते हुए भोजपुरी जगत को साफ सुथरे खूबसूरत गानों की सौगात देंगे. बकौल शिवपूज कहते हैं कि भोजपुरी भाषा के मिठास की गूंज सिर्फ राज्य और  देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक है. हांलाकि कुछ लोगों की वजह से भोजपुरी भाषा बदनाम हो गई है जिसके वास्तविक स्वरूप से दुनिया को परिचित कराना है.वहीं ऐसे कलाकारों की कमी नहीं जो इस फूहड़ दौर की वजह से इसका हिस्सा नहीं बन पा रहे औऱ हाशिए पर हैं. ऐसे लोगों को एकजुट कर भोजपुरी की सार्थकता को स्थापित करने की जरूरत है.गीत-संगीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज निर्माण का एक माध्यम भी है.भोजपुरी भाषा को पूरी दुनिया में करोड़ों लोग बोलते हैं जिसकी मिठास उसे सर्वप्रिय बनाती है. मॉरीशस देश औऱ भोजपुरी का कनेक्शन जगजाहिर है.पिछले कुछ सालों के दौरान जिस तरीके से मुंबई से भोजपुरी इंडस्ट्री संचालित हो रही है उसका विरोध होना चाहिए क्योंकि फूहड़ता और अश्लीलता के प्रदर्शन ने भोजपुरी के असली रूप को विकृत कर उसे बाजारवाद का वाहक बना दिया है.

शिवपूजन सिंह के प्रोडक्शन हाउस तले बन रहे भोजपुरी ऐलबम की शुटिंग शुरू हो चुकी हैं


शहीद सैनिकों और मजबूर प्रवासी मजदूरों की व्यथा करेगा भोजपुरी गीत 
शिवपूजन सिंह अपने प्रोडक्शन के माध्यम से भोजपुरी को एक नए मुकाम तक पहुंचाना चाहते हैं. खुद के लिखे उनके गीत देश की सीमा पर शहीद होनेवाले सैनिकों और अपना राज्य छोड़ने को मजबूर प्रवासी मजदूरों की व्यथा, खुशी को समेटे हुए हैं जो रिलीज होने के बाद लोगों की जुबां पर चढ़ेंगे ऐसी उम्मीद पूरी टीम को है.


रिपेर्ट: अन्नी अमृता, जमशेदपुर