टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में पुलिस महकमा एक बार फिर चर्चा में है. ऐसा लग रहा कि IG और DGP का निर्देश नहीं मानना थानेदारों में एक ट्रेंड बन गया है. कई थानेदार और सब-इंस्पेक्टर अब अपने ही सीनीयर अधिकारियों के आदेशों का पालन करने को तैयार नहीं हैं. यह नया चलन न केवल अनुशासनहीनता की ओर इशारा करता है, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है. हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिससे उनकी अनुशासनहीनता जनता के सामने उजागर हुई है. यही वजह है कि कई बार डीजीपी और आईजी को थानेदारों और सब-इंस्पेक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देना पड़ रहा है. राज्य के सीनीयर पुलिस अधिकारी इस कुव्यवस्था को सुधारने में जुटे हैं. गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों में ही सीनीयर अधिकारियों ने तीन थानेदारों और इंस्पेक्टरों समेत सात सब-इंस्पेक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की है. उन्हें निलंबित कर पुलिस लाइन भेज दिया गया है.
यहां से शुरू हुई थी पूरी कहानी
दरअसल, 8 अगस्त को रांची प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी. इसमें खुलासा हुआ कि खुशी नाम की एक लड़की, जो पुरुषों को शादी का झांसा देकर पैसे लेकर फरार हो जाती है. कुश सिंह और काशीनाथ नायक की पत्नी ने कई तस्वीर सामने रखी और दावा किया की उसके साथ ही नहीं बल्कि तीन लोगों को शिकार बना चुकी है.
हालांकि, लड़की ने 28 मई को रांची के गोंदा थाने में काशीनाथ के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई. उसने बताया कि उसने काशीनाथ नाम के एक व्यक्ति से पैसे उधार लिए थे, लेकिन वह उससे तीन प्रतिशत ब्याज ले रहा था. इसी बीच, उसने किसी तरह उसकी अश्लील तस्वीरें खींच लीं और अब उसे जेल भेजने की धमकी दे रहा है.
नामकुम में एक और मामला दर्ज किया गया, जिसमें दावा किया गया कि खुशी नाम की एक महिला उसे झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश कर रही है. पुलिस ने जाँच शुरू की. कई तथ्यों के आधार पर, पुलिस को लड़की पर शक हुआ.
इस बीच, लड़की ने डीजीपी अनुराग गुप्ता से संपर्क किया और निष्पक्ष जाँच की माँग करते हुए एक आवेदन दिया. इसके बाद, पुलिस मुख्यालय से एक आदेश जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि डीआईजी संध्या रानी पूरे मामले की जाँच करेंगी. जाँच पूरी होने तक लड़की को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. जाँच में यह भी पता चला कि काशीनाथ नायक ने 28.05.2025 को गोंदा थाने में दर्ज मुकदमा वापस लेने की धमकी देते हुए कहा था, "मुकदमा वापस ले लो, वरना पूरे परिवार को जेल भेज देंगे."
जब लड़की पर नामकुम में आरोप लगाए गए, तो मामला अदालत पहुँचा और अग्रिम ज़मानत के लिए आवेदन दायर किया गया. हालाँकि, हाल ही में ज़मानत खारिज कर दी गई. अदालत ने अपने आदेश में लिखा कि पुलिस जाँच रिपोर्ट और अदालत में पेश किए गए सबूतों से पता चलता है कि लकड़ी कई अवैध गतिविधियों में लिप्त है और युवकों से जबरन वसूली करती है. इसके आधार पर अदालत ने उसकी ज़मानत तो खारिज कर दी, लेकिन तुरंत गिरफ़्तारी का आदेश नहीं दिया.
ज़मानत खारिज होने के बाद, नामकुम पुलिस ने बुधवार को आरोपी लड़की खुशी और उसके पिता को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया. इस बीच, डीजीपी ने उन्हें जेल न भेजने का आदेश जारी किया था. लेकिन पुलिस ने डीजीपी के आदेश की अनदेखी करते हुए खुशी और उसके पिता को जेल भेज दिया. घटना के अगले ही दिन पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आदेश की अवहेलना करने के आरोप में थाना प्रभारी मनोज कुमार का सिमडेगा तबादला कर दिया. मामले के अनुसंधानकर्ता को भी निलंबित कर चाईबासा भेज दिया गया. इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है.
जानिए थानेदार कब और क्यों हुए सस्पेंड
10 अक्टूबर: अरगोड़ा थाना प्रभारी ब्रह्मदेव प्रसाद
क्यों: अपहरण की सूचना मिलने पर पीड़ित की पिटाई करने और उसे लॉकअप में बंद करने का आरोप. इंस्पेक्टर दिवाकर सिंह भी निलंबित.
9 अक्टूबर: नामकुम थाना प्रभारी मनोज कुमार
आरोप: डीजीपी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए महिला और उसके पिता को जेल भेज दिया. इसी मामले में आईओ मिथुन कुमार भी निलंबित.
17 अगस्त: चुटिया
थाना प्रभारी लक्ष्मीकांत
क्यों: पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप. तत्कालीन एसएसपी चंदन सिन्हा ने उन्हें निलंबित कर दिया था.
एसएसपी ने भी पांच सब-इंस्पेक्टरों को किया निलंबित
1. डोरंडा थाने में तैनात थाना प्रभारी संतोष कुमार रजक
क्यों: काम में लापरवाही और एक वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की अवहेलना का आरोप.
2. खरसीदाग थाने में तैनात इंस्पेक्टर नीतीश कुमार
आरोप: काम में लापरवाही और एक वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की अवहेलना.
3. लालपुर थाने में तैनात इंस्पेक्टर अजय कुमार दास
आरोप: कार्य में लापरवाही और वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की अवहेलना.
4. जगन्नाथपुर के इंस्पेक्टर रामकुमार टाना भगत
क्यों: कार्य में लापरवाही और वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की अवहेलना का आरोप.
5. सुखदेवनगर थाने की इंस्पेक्टर सूर्यवंती उरांव
क्यों: कार्य में लापरवाही और वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की अवहेलना का आरोप.

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