दुमका (DUMKA) : शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर लगातार बारिश के बाद पानी के तेज बहाव में कविता शर्मा नामक महिला की दर्दनाक मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया. कविता घर लौट रही थीं, लेकिन शहर के मेन ड्रेनेज सिस्टम की लापरवाही उनकी जान ले गई. डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया और बच्चे पलभर में अनाथ हो गए. पिता का साथ पहले ही छूट चुका था. अब मां का साया भी सिर से उठ गया.
हादसे के बाद बेटों ने खुद किया डेंजर जोन की मरम्मती, ताकि कोई और न खोए अपनी मां
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. श्राद्ध कर्म के बाद, बेटों विशाल और कुणाल शर्मा ने परिजनों के साथ मिलकर जो किया, उसने पूरे शहर का दिल जीत लिया. उन्होंने उस डेंजर जोन को खुद के खर्च से बांस और हरे कपड़े से घेर दिया. कटे हुए रास्ते को भरा ताकि कोई और इस दर्द से न गुज़रे. उनका कहना है कि हमारी मां तो चली गई, लेकिन अगर हमारी कोशिश से किसी और की मां बच जाए, तो यही हमारी श्रद्धांजलि होगी.
हादसे के बाद भी नहीं जगा प्रशासन तो परिजनों ने दिखाया आइना
यह कदम न केवल एक संवेदनशील प्रयास है, बल्कि प्रशासन को आईना दिखाने वाला संदेश भी है. क्योंकि हादसे के कई दिन बाद भी स्थायी मरम्मती कार्य नहीं हुआ. शहर में ऐसे कई नाले हैं जो जानलेवा बने हुए हैं. कहीं स्लैब नहीं तो कहीं साइड वॉल नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है या फिर सुरक्षा केवल कागज़ों तक सिमट कर रहेगी?

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