टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : बिहार की राजनीति इन दिनों फिर से उथल-पुथल के दौर में है. विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के भीतर दरार की चर्चाएं तेज हैं. इसी बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने घोषणा की है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में अब कोई प्रत्याशी नहीं उतारेगा. इस फैसले से रानीतिक भूचाल आ गया है. बिहार में झामुमो ने 12 सीटों की मांग की थी, जो बाद में 4-6 सीटों की संभावना पर तय हुई, लेकिन यह भी नहीं मानी गई. JMM भले ही दावा करे कि राजनीतिक खींचतान के बीच उनकी मांग को दबा दिया गया, लेकिन असली वजह झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मजबूरी मानी जा रही है.
इधर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस, राजद और वामदलों के बीच सीटों की खींचतान पहले से चल रही थी. अब झामुमो के चुनाव न लड़ने के ऐलान ने यह संकेत दिया है कि गठबंधन के भीतर तालमेल उतना मजबूत नहीं रहा जितना लोकसभा चुनाव के दौरान दिखा था. झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों में से JMM के पास 34, कांग्रेस के पास 16, RJD के पास 4 और CPI (ML) के पास 2 सीटें हैं. ऐसे में ये भी कयास लगाए जा रहें है कि हेमंत सोरेन ने राजनीतिक मजबूरी के कारण चुनाव लड़ने से नाम वापस ले लिया है.
इसके अलावा ये भी माना जा रहा कि बिहार में JMM के पास कोई मज़बूत ऑर्गेनाइज़ेशनल स्ट्रक्चर या सपोर्ट बेस नहीं है. हार की हालत में पार्टी की इमेज पर असर पड़ सकता है. इसलिए, इस फ़ैसले को नुकसान से बचने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है.
फ़िलहाल, JMM का यह रुख INDIA गठबंधन की अंदरूनी हालत पर भी सवाल खड़े करता है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे नेता एकता का मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सहयोगी पार्टियों के बीच तालमेल की कमी साफ़ दिख रही है. आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति तय करेगी कि JMM का यह फ़ैसला गठबंधन की मज़बूती का सिंबल बनेगा या विपक्ष की एकता में एक और कमज़ोर कड़ी साबित होगा.
बताते चलें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में RJD को सात सीटें दी गई थीं. अकेले जीतने वाले उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता को पांच साल के लिए कैबिनेट मंत्री बनाए रखा गया था. 2024 के चुनाव में झारखंड में RJD को छह सीटें दी गईं. छह में से चार उम्मीदवार जीते. अभी, एक अहम पद पर कैबिनेट मंत्री RJD कोटे से हैं.

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