टीएनपी डेस्क(TNP DESK): आजकल के दौर में सभी के हाथ में स्मार्टफोन है सभी सोशल मीडिया भी इस्तेमाल करते हैं और वहां अपने फोटो और वीडियो डालना भी पसंद करते हैं लेकिन कई बार आपकी प्राइवेट फोटो किसी गलत इंसान के हाथ में चली जाती है जिसकी वजह से मुसीबत खड़ी हो जाती है कई बार तो सोशल मीडिया के माध्यम से आपकी फोटो लीक होती है तो कई बार आप अपने हाथों से अपने प्रियजन बॉयफ्रेंड या अपने दोस्तों को फोटो वीडियो भेजते है जो बाद में आपके लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर देता है.और आप ना चाहते हुए भी ब्लैकमेलिंग का शिकार हो जाते है ज़्यादातर बॉयफ्रेंड ब्रेकअप के बाद प्राइवेट फोटो या वीडियो दिखाकर आपका यौन उत्पीड़न करता है या आपसे पैसे की मांग करने लगते है जिससे आप काफी ज्यादा घबरा जाते हैं और परेशान हो जाते है.

ब्लैकमेल से डरकर कभी ना उठायें गलत कदम

इज्जत बचाने के डर से कई बार लड़कियां आत्महत्या जैसी गंभीर कदम उठाती है जो काफी गलत है.अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है आपको ब्लैकमेल नहीं होना है आपको समझदारी से काम लेना है क्योंकि हमारे देश में ऐसा कानून है जिसके तहत आप आरोपी बॉयफ्रेंड,दोस्त या किसी अन्य ब्लैकमेलिंग करने वाले को सजा दिलवा सकते है. वह कानून क्या है चलिए इसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी देते है.

इस तरह करें कार्रवाई

यदि आप ब्लैकमेलिंग से परेशान हैं और आपकी कोई निजी फोटो या वीडियो दिखाकर परेशान कर रहा है तो आपको सबसे पहले संयम से काम लेना है और इसकी शिकायत साइबर सेल में करनी है.आप चाहें तो ऑनलाइन https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते है.

ऑफलाइन भी कर सकते हैं शिकायत

वही आप ऑफलाइन भी इसकी शिकायत साइबर सेल के ऑफिस जाकर कर सकते है.यहां जाकर आपको आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाना पड़ेगा.जिसके लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज और सबूतों की जरूरत पड़ेगी.साइबर सेल में शिकायत के लिए घटना से जुड़ी पूरी जानकारी विस्तार से बतानी पड़ेगी. जिसमे काॅल डिटेल्स, मैसेज, और भी जो चीजें ब्लैकमेलर को ट्रेस करने में मददगार हो सके. साइबर सेल में शिकायत के बाद पुलिस आरोपी को ट्रेस करती है. और फिर कार्रवाई करती है.

जान लें अपना अधिकार 

आपको बताये कि ब्लैकमेल करनेवाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 384 के तहतआप आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दिलवा सकती है क्योंकि ब्लैकमेलिंग एक गंभीर अपराध है.अगर अदालत में आरोप साबित हो जाता है तो आरोपी को IPC की धारा 384 के तहत 3 साल तक सजा हो सकती है. वहीं साथ ही धारा 503 के तगत भी 2 साल तक की सजा हो सकती है.