रांची(RANCHI): झारखंड में कुड़मी समाज के अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग के खिलाफ आदिवासियों ने जन आक्रोश रैली, रांची के प्रभात तारा मैदान में की. इस जन आक्रोश रैली में 32 आदिवासी जनजातियां शामिल हुई. झारखंड, बंगाल, बिहार, ओडिसा, मणिपुर और छत्तीसगढ़ के आदिवासी आक्रोश रैली में शामिल हुए. मंच से सभी ने एकता का संदेश दिया और कुड़मी की मांग के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. मंच पर पूर्व मंत्री गीता उरांव, देव कुमार धान के साथ कई आदिवासी नेता मौजूद रहे.
इस दौरान आदिवासी नेताओं ने मंच से हुंकार भरा और कुड़मी समाज को चुनौती दी कि अगर गलत तथ्य के साथ मांग करोगे तो अब आदिवासी चुप बैठने वाला नहीं है. आदिवासी अब तक शांत था लेकिन जब बात घर में घुसने की आ गई तो अब बवाल देखने को मिलेगा. यह भीड़ बस अभी कुछ नहीं है. अगर अब कुड़मी शांत नहीं हुए तो ऐसा सैलाब दिखेगा की उसे रोकना मुश्किल हो जाएगा.
आदिवासियों ने केंद्र और राज्य सरकार को भी चेतावनी दी है कि अगर कुड़मी को एसटी में शामिल करने की मांग का किसी ने भी समर्थन किया या उस दिशा में आगे बढ़े तो उन्हें सत्ता से उखाड़ फेकेंगे. पूरे देश को शांत करने का काम आदिवासी करेंगे. आदिवासी कोई बनता नहीं है बल्कि पैदा होता है. आदिवासी ऐसे ही कमजोर है, जंगल में रहता है लेकिन अब उसे भी छीनने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में आदिवासी अब चुप नहीं बैठेंगे. आदिवासी अगर काम छोड़ कर जंगल से बाहर सड़क पर उतर गए तो उन्हें रोकना मुश्किल हो जाएगा.
बता दें कि यह आंदोलन 20 सितंबर से शुरू हुआ था, जब कुड़मी समाज की ओर से रेल रोको आंदोलन की शुरुआत की गई और कुड़मियों ने खुद को एसटी में शामिल करने की मांग की थी. इसके बाद इस आंदोलन का रिएक्शन ऐसा हुआ कि हर दिन झारखंड के किसी ना किसी कोने में आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं. उनकी सभा में हजारों आदिवासी जुट रहे है.
रिपोर्ट : समीर हुसैन

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