रांची(RANCHI): पलामू चतरा के कई इलाकों का आतंक माने जाने वाला शशिकांत कौन है. जिसे दो दशक से पुलिस पकड़ नहीं पाई और कैसे हर बार मुठभेड़ में बच कर निकल जाता है. इसके साथ कितने कैडर रहते है और हथियार कौन से है. साथ ही देर रात हुई मुठभेड़ में कैसे में दो जवानो की शाहदत हो गई. इस खबर में पूरी कहानी मुठभेड़ की बताएंगे. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि आखिर TSPC नक्सल संगठन पलामू में कैसे इतना मज़बूत है.
दरअसल पलामू के मनातू में TSPC नक्सली संगठन के टॉप कैडर शशिकांत के साथ मुठभेड़ में दो जवानों की शाहदत हो गई. इसके बाद यह चर्चा में है कि आखिर शशिकांत कौन है. सबसे पहले जान लेते है कि पूरी मुठभेड़ कैसे हुई. बताया जा रहा है कि हर तरफ करम पर्व मनाया जा रहा था. इसी बीच पलामू एसपी को TSPC नक्सली संगठन के टॉप कमांडर शशिकांत के गतिविधि की सुचना मिली. बताया गया कि वह मनातू के केदल जंगल में मौजूद अपने घर पूजा करने पहुंचा है. इसके बाद नक्सल अभियान शुरू किया गया. जिला मुख्यालय से QRT के साथ अभियान एसपी निकले.शशिकांत के गांव पहुँच गए. पूरे इलाके की घेराबंदी की गई. लेकिन जैसे ही उसके घर के नजदीक टीम पहुंची नक्सलियों ने गोली चलानी शुरू कर दी.
इसके बाद जवानों ने तुरंत मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई तेज की. सामने से AK47 जैसे घातक हथियार से गोली चल रही थी. इसी में ASP के बॉडी गार्ड को पहली गोली लगी. इसके बाद भी वह लड़ता रहा. मोर्चा पर डटे रहने से उसे और भी गोली लग गई. बताया जा रहा है कि करीब 9 गोली उस जवान को लगी है. इसके बाद एक और जवान को सीधे सिर में गोली लगी. जिससे दोनों की शाहदत हो गई. वहीं एक जवान घायल है जिसका इलाज पलामू में MMCH में किया जा रहा है.
इस मुठभेड़ के बीच ही सभी घायल को अस्पताल भेजा गया. मोर्चे पर आईपीएस के नेतृत्व में टीम डटी रही. इस पूरे अभियान में दो टीम काम कर रही है. नक्सल अभियान को तेज किया गया. पलामू और चतरा के बॉर्डर इलाके की घेराबंदी कर सर्च अभियान जारी है. सूचना है कि कई नक्सली भी घायल हुए है. हालांकि अब तक कोई बॉडी बरामद नहीं हुई है. शहीद होने वाले में पलामू जिला बल के जवान संतन मेहता और सुनील राम शामिल है. दोनों हैदरनगर के रहने वाले है. संतन मेहता बरेवा गांव के है जबकि सुनील राम परता के रहने वाले है. दोनों की शहादत की खबर मिलते ही पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है.
अब जान लीजिये की आखिर शशिकांत कौन है.
बताया जाता है कि शशिकांत पहले माओवादी कैडर में शामिल था. लेकिन बाद में यह TSPC संगठन में शामिल हुआ. इसके बाद इसका कद बढ़ता चला गया. पहले प्लाटून कमांडर, फिर एरिया कमांडर बाद में जोनल कमांडर का दायित्व मिल गया. साथ ही आक्रामक गंझू के गिरफ़्तारी के बाद लेवी का पैसा भी इसके पास ही जमा होने लगा. TSPC के सुप्रीमो के तौर पर काम कर रहा है. पुलिस और इसके दस्ते के साथ करीब दर्जन भर मुठभेड़ हुई. जिसमें हर बार यह बच कर निकल गया.
बताया जाता है कि इसके दस्ते के पास AK 47, 56 जैसे घातक हथियार मौजूद रहते है. शशिकांत खुद AK 47 और पिस्टल हमेशा पास रखता है. 24 घंटे अपने दस्ते के 4 से 5 सदस्य को मौजूद रखता है. जो सभी हथियार से लैस होते है. इसके पूरे दस्ते में दर्जन भर से ज्यादा कैडर शामिल है. पलामू के मनातू, पांकी, पिपराटांड़, तरहसी, नावाजयपुर और चतरा के लावालौंग, प्रतापपुर और कुंदा इलाका इसका गढ़ माना जाता है. इसपर 50 से अधिक मुकदमे दर्ज है. साथ ही झारखण्ड पुलिस ने इसपर 10 लाख का इनाम घोषित कर रखा है.
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