रांची(RANCHI): चंद्रयान-3 को लेकर देश में उत्साह है. भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.लेकिन इसके बारे में जानना चाहिए कि इसके निर्माण में किनका योगदान है. झारखंड इससे कैसे जुड़ा है.
जानिए चंद्रयान -3 के निर्माण और झारखंड के जुड़ाव के बारे में
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर ढाई बजे इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के सेकेंड लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा. इसको लेकर देश के लोगों में उत्साह है. आपको जानना जरूरी है कि झारखंड का इसमें बड़ा योगदान है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर मिशन की तैयारी की समीक्षा की गई . प्रक्षेपण की तैयारी पूरी हो गई है.
चंद्रयान-3 के निर्माण और प्रक्षेपण में झारखंड की बड़ी भूमिका
आपको बता दें कि चंद्रयान-3 के निर्माण और प्रक्षेपण में झारखंड की बड़ी भूमिका है. इस प्रदेश की तीन कंपनियों ने मिलकर लॉन्चपैड से लेकर कई महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण किया है. ये तीनों कंपनियां मेकॉन, टाटा और HEC हैं . लॉन्च पैड सहित कई महत्वपूर्ण उपकरणों का कागज पर डिजाइन से लेकर 84 मीटर ऊंचे लॉन्चपैड तक सबकुछ झारखंड में तैयार हुआ है.
एसएलपी का ड्राइंग-डिजाइन रांची स्थित मेकॉन लिमिटेड ने किया है
हम बता दें कि चंद्रयान-3 के लॉन्च का महत्वपूर्ण हिस्सा माने जा रहे एसएलपी का ड्राइंग-डिजाइन रांची स्थित मेकॉन लिमिटेड ने किया है. यही नहीं, इसके निर्माण के लिए जरूरी कई उपकरण एचईसी में बने हैं. एसएलपी के खास हिस्से, बोगी सिस्टम के लिए विशेष स्टील और कई उपकरण सरायकेला के गम्हरिया स्थित टाटा ग्रोथ शॉप में बने हैं. इसरो के लिए जिस किसी उपकरण का निर्माण एचईसी और टाटा कंपनी ने किया है, उन सभी उपकरणों की ड्राइंग डिजाइन मेकॉन की टीम ने तैयार की है.
झारखंड के लोगों के लिए गौरव का विषय
हम यह भी बता दें कि एचईसी ने विशेष रूप से अबतक का सबसे भारी इओटी क्रेन तैयार किया. यहां तक कि दूसरे लॉच पैड की बुनियादी ढांचे का निर्माण कर समय पर HEC ने आपूर्ति किया है. इसके अलावा एचईसी ने 400/60 टन, 200/30 टन इओटी क्रेन, 10 टन टावर क्रेन, फोल्डिंग कम वर्टिकली रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, स्लाइडिंग दरवाजे, मोबाइल लांचिंग पेडस्टल(वजन 800 टन), 6-एक्सिस सीएनसी डबल कॉलम वर्टिकल टर्निंग और बोरिंग मशीन और 3-एक्सिस सीएनसी सिगल कॉलम वर्टिकल टर्निंग एंड बोरिंग मशीन की आपूर्ति की है. मेकॉन द्वारा डिजाइन किया गया लॉन्च पैड पूरी तरह से स्वदेशी हैं. एसएलपी में वर्तमान और भावी पीढ़ी के उन्नत सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता है. मेकॉन के अनुसार एसएलपी प्रोजेक्ट के लिए मेकॉन प्रबंधन ने मुख्य बिल्डिंग के विंग बी के पांचवें फ्लोर पर विंग बनाया था. मेकॉन ने पहली बार खुद से डिजाइन और ड्राइंग तैयार किया है.यह झारखंड के लोगों के लिए गौरव का विषय है.
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