धनबाद(DHANBAD):  झारखंड में 4000 करोड़ का कोयला ताले में बंद हो गया है. धनबाद की ऐतिहासिक 109 साल पुरानी जीतपुर कोलियरी की बंदी की चर्चा आज भी हो रही है और आगे भी होती रहेगी.  सेल मैनेजमेंट को आज भी सवालों से घेरा जा रहा है, आगे भी  घेरा जाता रहेगा.  सवाल बड़ा है कि 4000 करोड़ रुपए का  कीमती कोयला ताले में बंद हो गया है.  इतना तो तय है कि इस कोयले को इलीगल माइनिंग करने वाले आज नहीं तो कल, काटकर खत्म कर देंगे.  क्योंकि जिन जगहों पर कंपनियां कोयला काटना छोड़ देती है, वहीं से "रैट होल"  के जरिए कोयला चोरी करने वाले अपना काम शुरू करते है.  जीतपुर कोलियरी में तो वाशरी   ग्रेड-3  का कोयला है.  मतलब इसकी कीमत लगभग ₹4000 प्रति टन  बाजार में जरूर होगी.  ऐसे में सुरक्षा करने  से एक झटके में जीतपुर कोलियरी को बंद कर दिया गया. 

जीतपुर कोलियरी में 11 मिलियन टन खनन योग्य वाशरी ग्रेड - 3 का कोयला है.
 
सूत्रों की माने तो अभी भी जीतपुर कोलियरी में 11 मिलियन टन खनन योग्य वाशरी ग्रेड - 3 का कोयला है.  अब जब खदान परमानेंट बंद कर दी गई है, तो यह  कोयला क्या यूं ही पड़ा रहेगा? यह एक बहुत बड़ा सवाल है.  यह  अलग बात है कि डीजीएमएस   के सुझाव पर कोलियरी को बंद किया गया है.  कोलियरी बंदी को लेकर आंदोलन की भी शुरुआत की गई है.  बताया जाता है कि जीतपुर कोलियरी में अलग-अलग तीन तरह के सीम  है.  कोयला तो ताले में बंद हो ही गया, इसके अलावे पानी निकालने  के पंप सहित अन्य कीमती उपकरण भी खदान में ही मैनेजमेंट को छोड़ना पड़ गया है.  यह  अलग बात है कि यह कोलियरी  अप्रैल 2024 से ही बंद कर दी गई थी.  सिर्फ आवश्यक सेवाएं जारी थी, उन्हें  भी अब बंद कर दिया गया है. 

पानी भरने के कारण  खदान को खतरा बताया गया है 
 
कहा तो यही गया है कि टाटा स्टील की जामाडोबा   6,7 पिट्स  एवं दो पिट्स कोलियरी में   खनन बंद होने की वजह से पानी भरने के कारण जीतपुर कोलियरी को खतरा पैदा हो गया था.  जिस वजह से इसे बंद कर दिया गया.  कोलियरी बंदी का  असर भी होगा.  बोकारो स्टील लिमिटेड की विस्तारित  योजना पर भी  जीतपुर कोलियरी  बंदी का असर निश्चित रूप से पड़ेगा.  स्टील के निर्माण में कोकिंग कोल्  की बड़ी भूमिका है.  एक आंकड़े के मुताबिक 1.4 मिलियन टन स्टील प्रोडक्शन के लिए एक मिलियन टन कोकिंग कोल्  की जरूरत होती है.  बोकारो स्टील प्लांट को अपनी विस्तारीकरण  योजना में 2.3 मिलियन टन स्टील उत्पादन को बढ़ाना है.  यानी बोकारो स्टील प्लांट को अतिरिक्त कोकिंग कोल्  की जरूरत होगी.  जीतपुर की बंदी से सेल को झटका भी लगा है.  धनबाद और बोकारो में सेल की जो खदानें हैं, उनमें दो चासनाला डीप  माइंस एवं जीतपुर  कोलियरी बंद है.  

चासनाला अपर सीम   से सालाना एक  लाख टन कोयले का उत्पादन होता है.

चासनाला अपर सीम   से सालाना एक  लाख टन कोयले का उत्पादन होता है.  इस हालत में बीसीसीएल पर भी दबाव पड़ेगा और आयातित  कोयले की ओर भी बोकारो स्टील प्लांट को देखना होगा.  खैर, सवाल यह नहीं है कि बोकारो स्टील प्लांट किस तरह अपने प्रोडक्शन को टारगेट तक पहुंचाएगा, सवाल यह है कि 4000 करोड रुपए के कोकिंग कोल्  को ताले में बंद किया जाना कितना सही है? खदान में अगर पानी भर रहा है, तो क्या उसका कोई विकल्प नहीं है क्या ? दरअसल, अभी पोखरिया उत्पादन का इतना अधिक प्रचलन हो गया है कि कोई भी भूमिगत खदान से उत्पादन करने का खतरा मोल  नहीं लेना चाहता , आज भले ही यह  सब कुछ ठीक दिख रहा है लेकिन आने वाले दिनों में बड़ा संकट हो सकता है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो