दुमका(DUMKA)सावन का पवित्र महीना हो और शिवभक्त बाबा के ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिये लालायित न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है.ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है बासुकीनाथ धाम आएं  श्रद्धालुओं के साथ , यहां बता दें कि झारखंड सरकार द्वारा  श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है, बिना इस जानकारी के आये श्रद्धालुओं को बाबा के ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये बिना ही लौटना पड़ा रहा है, ऐसे में श्रद्धालु बाबा शुम्भेश्वर नाथ के दरबार की ओर रवाना हो रहे है और वहां पूजा पाठ कर रहे हैं.

         दुमका जिला से महज 57km की दूरी पर बाबा शुम्भेश्वर नाथ महादेव का भव्य और प्राचीन मंदिर स्थित हैं माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास सतयुग काल से जुड़ा है, यहां के पंडा पुरोहितों की मानें तो शुम्भ निशुम्भ दो असुर भाई भगवान शिव के बहुत बडे भक्त थे, और शिव उपासना के दौरान ही इस  शिव मंदिर की स्थापना की थी. इस मंदिर का नाम शुंभ राक्षस के नाम पर ही पडा है,  इस मंदिर को जोड़ा महादेव के नाम से भी जाना जाता है. 

मां दुर्गा ने किया था शुंभ असुर का वध
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ये शुम्भ और निशुम्भ वहीं दो राक्षस भाई हैं, जिनका मां दुर्गा ने वध किया था. दोनों राक्षस महर्षि कश्यप और दनु के पुत्र और नमुचि के भाई थे.इंद्र ने एक बार नमुचि को मार डाला. नाराज होकर शुंभ-निशुंभ ने उनसे इंद्रासन छीन लिया और शासन करने लगे. इसी बीच मां  दुर्गा ने महिषासुर वध किया और ये दोनों उनसे प्रतिशोध लेने की सोचने लेगे, इन्होंने दुर्गा के सामने शर्त रखी कि वे या तो इनमें किसी एक से विवाह करें या मरने को तैयार रहे,दुर्गा ने कहा कि युद्ध में मुझे जो भी परास्त कर देगा, उसी से मैं विवाह कर लूँगी. इस पर दोनों से युद्ध हुआ और दोनों मारे गए. 

रिपोर्ट : सुतिब्रो गोस्वामी,बासुकीनाथ ,दुमका.