धनबाद (DHANBAD) : अपराध की घटनाओं से बिहार "हिल" गया है. बिहार में अपराध की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. जहां-तहां लोगों को गोलियों से भून दिया जा रहा है. अपराधी पूरी तरह से बेलगाम हो गए है. सुशासन बाबू की सरकार पूरी तरह से लाचार और विवश दिख रही है. शुक्रवार की रात गोपाल खेमका हत्याकांड के बाद नीतीश सरकार पर हमले तेज हो गए है. पुलिस अभी तक सिर्फ पानी ही पीट रही है. अब तो नीतीश सरकार सहयोगी दलों के निशाने पर भी आ गई है. नीतीश सरकार के कार्यकाल में महा जंगलराज के आरोप लग रहे है. बता दें कि पटना के उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड के बाद नीतीश सरकार न केवल विपक्ष के निशाने पर है, बल्कि एनडीए  में सहयोगी दल भी नीतीश कुमार को भला-बुरा कह रहे है. 
 
चिराग पासवान ने भी उठा दिए है सवाल 

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी बिहार के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह बिहार में अपराध बढ़े हैं, यह चिंता का विषय है. अगर पटना के शहरी इलाकों का यह हाल है, तो हम कल्पना कर सकते हैं कि बिहार के गावों  में क्या हो रहा होगा. इधर, गोपाल खेमका हत्याकांड के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी बिफर उठे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर उनकी सरकार होती तो मीडिया उनकी खाल नोंच ली हुई होती. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में अपराधी बेलगाम  हो गए है. दुख होता है, देखा नहीं जा रहा है. खेमका परिवार का दुख हम लोगों को सहन नहीं हो रहा है. 

सवाल पूछे जा रहे-जंगलराज की बात करने वाले कहां हैं
 
जंगलराज की बात करने वाले कहां हैं? क्या सुनवाई हो रही है? क्या कार्रवाई हो रही है? क्या एक्शन लिया गया है? बिहार में कोई भी ऐसा दिन नहीं होता , जब गोलियां नहीं चलती है. मुख्यमंत्री आवास के बाहर गोलियां चलती है.  जज साहब के घर के बाहर गोलियां चलती है. उनके मंत्री के घर के बाहर गोलियां चलती है. अब तक कोई अपराधी पकड़ा नहीं आया है. मेरे घर के बाहर गोलियां चली, क्या हुआ, क्या एक्शन लिया गया? सवाल उठता है कि आखिर गोपाल खेमका के परिवार को कौन खत्म करना चाहता है. 2018 में बेटे की हत्या के बाद 2025 में पिता की हत्या, आखिर कौन करवा रहा है? आखिर किसकी इस परिवार की संपत्ति पर नजर है? आखिर कौन एक-एक कर इस परिवार के सदस्यों का मर्डर करवा रहा है. 

खेमका परिवार का विवाद से कोई नाता नहीं रहा है 

खेमका परिवार का किसी से दुश्मनी नहीं है, ना कोई विवाद से नाता रहा है.  बावजूद परिवार के सदस्यों की हत्या हो रही है. 2018 में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या हाजीपुर में कर दी गई थी. इससे पहले उनके  छोटे बेटे पर हमला हुआ था. उसे दौरान उनकी जान बच गई थी. गोपाल खेमका के बड़े भाई पर 1999 में हमला हुआ था. इधर , इसे संयोग  कहा जाए या हत्या का तरीका, 20 दिसंबर 2018 को दिन के 11:30 बजे हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री के गेट के बाहर बाइक लगाकर बैठ अपराधी गुंजन का इंतजार कर रहा था. उनके पहुंचते ही उसने गोली मार दी.  शुक्रवार की रात भी पहले से गेट पर अपराधी इंतजार कर रहा था. रात 11:40 बजे गोपाल खेमका के पहुंचते ही  गोली मार दी. 

गोपाल खेमका को भुगतान के आधार पर सुरक्षा दी गई थी.
 
बताया जाता है कि गोपाल खेमका को भुगतान के आधार पर सुरक्षा दी गई थी. अप्रैल 2024 में वापस ले लिया गया और उसके बाद उन्होंने कभी सुरक्षा की मांग नहीं की थी. यह बात भी सच है कि गोपाल खेमका हत्याकांड के बाद बिहार पुलिस की फजीहत हो रही है. गोपाल खेमका के परिजनों में पहले से ही इस बात को लेकर गुस्सा है कि पुलिस घटनास्थल पर देर से पहुंची. अब इस वारदात के कई घंटे गुजर जाने के बाद भी अपराधी  के नहीं पकड़े जाने से पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है. यह अलग बात है कि गोपाल खेमका हत्याकांड के 36 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ अभी कोई मजबूत सुराग नहीं लगे है. पुलिस टीम ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. 

रिपोर् -धनबाद ब्यूरो