धनबाद(DHANBAD) : कोयलांचल में भारी बारिश ने जर्रे जर्रे को तबाह कर दिया है. कोलियरी इलाकों की हालत डरावनी हो गई है. आप किसी भी इलाके से गुजरिये, धुओं का गुब्बार आपको डरा रहा है. सड़क के किनारे से धुआं और गैस निकल रहे है. रात की बात कौन कहे, दिन  में भी दृश्य डरावना लग रहा है. चाहे आप झरिया इलाके की बात करें, पुटकी इलाके की बात करें, कतरास इलाके की बात करें, सब जगह एक ही हाल है. इस वर्ष बारिश ने कोहराम मचाया है तो भूमिगत आग भी कम खतरनाक होती नहीं दिख रही है. वैसे तो हर बारिश में भू धंसान की घटनाएं बढ़ जाती है, लेकिन इस बार बारिश अधिक होने से कोलियरी इलाकों का दृश्य बहुत ही डरावना हो  गया है. 

बारिश का पानी जैसे-जैसे खदान में प्रवेश कर रहा, गैस तेज हो रही 
 
जगह-जगह भू धंसान  हो रहे है. बारिश की का पानी जैसे-जैसे जमीन में प्रवेश कर रहा है, गैस और धुआं की मात्रा बढ़ती जा रही है. साथ ही धंसान भी उसी रफ्तार में हो रहा है. लगातार बारिश की वजह से कोयल का उत्पादन भी घट रहा है. कई प्रोजेक्ट में पानी भरने की भी सूचना है. आग प्रभावित क्षेत्र की परियोजनाओं के अगल-बगल  कई जगहों पर जल जमाव की भी स्थिति है. नदी, नाले और जोरिया उफान  पर है. कोई ऐसा भूमिगत आग  प्रभावित इलाका नहीं है, जहां गैस का रिसाव नहीं हो रहा है. 


 
कई इलाकों में तो धंसान का भी खतरा बढ़ गया है
 
कई इलाकों में तो धंसान का भी खतरा बढ़ गया है. सूचना के अनुसार बांसजोड़ा 12 नंबर बस्ती में सोमवार की सुबह जोरदार आवाज के साथ मुख्य सड़क के बीचो बीच 10 फीट चौड़ा और काफी गहरा गोफ  बन गया. इस गोफ से भी भारी मात्रा में गैस का रिसाव हो रहा है. कई इलाकों में सड़क के बीचो-बीच धंसान होने से संपर्क टूट गया है. अभी हाल ही में संशोधित झरिया मास्टर प्लान की सरकार से मंजूरी मिली है. इसके पहले भी मास्टर प्लान के तहत काम हुआ था. लेकिन पुनर्वास का काम पूरा नहीं हुआ था.  फिलहाल जो स्थिति है, अगर अधिकारियों का दल इलाके का निरीक्षण करें तो उसे भी डर हो जाएगा. हर जगह गैस रिसाव हो रहा है. 

कोयला मंत्री के दौरे की उठने लगी है मांग 

कोयला मंत्री अभी अगर कोयलांचल के दौरे पर आए तो वह भी स्थिति की भयावता से अवगत हो जाएंगे. उन्हें पता चल जाएगा कि तत्काल पुनर्वास कितना जरुरी है. कोयलांचल में इस साल की  बारिश केवल शहर की ही सूरत नहीं बिगाड़ रही  है, बल्कि कोलियरी इलाकों में खतरा भी बढ़ा दिया है. इस साल की बारिश  26 सितंबर 1995 की याद दिला दी है. 26 सितंबर 1995 के उस काले  दिन को याद कर लोग आज भी सिहर उठते है. उस दिन  65 कोयला श्रमिक  जल समाधि ले लिए थे.  दरअसल, 1995 में भी इसी तरह से बारिश हो रही थी. चारों ओर पानी का बेग बढ़ रहा था. बीसीसीएल की गजलीटांड़ कोलियरी के बगल में बहने वाली कतरी नदी बेकाबू हो गई थी.  तटबंध को तोड़ते हुए गाजलीटांड़  खदान की ओर पानी का रुख हो गया था. 64 श्रमिक इस खदान में जल समाधि ले लिए थे.  उस समय देश के कोयला मंत्री जगदीश टाइटलर थे. धनबाद से पटना, पटना से कोलकाता होते हुए दिल्ली तक कोहराम मच गया था. 

लगातार बारिश की वजह से हालत अब डरावनी हो गई है 

वैसे भी बारिश का दिन कोयलांचल के लिए खतरा लेकर आता है.  जल जमाव, धंसान , गैस रिसाव  की घटनाएं बढ़ जाती है.अभी  कोयलांचल में लगातार बारिश से जहां घर- मुहल्लों में पानी भर रहा है, वही कोलियरी इलाकों में प्रदूषण के कारण लोगों का रहना मुश्किल हो रहा  है. सड़कें दिखाई नहीं दे रही है. जिन इलाकों में भूमिगत आग है, वहां पानी के प्रवेश से गैस निकल रही है. लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. यह  स्थिति आगे कब तक बनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है. यह अलग बात है कि भारत कोकिंग कोल लिमिटेड खदानों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोयल का उत्पादन कर रहा है. लेकिन जहां-जहां भूमिगत आग का जोर है, वहां की स्थिति कुछ अलग हो गई है. यह अलग बात है कि कोयलांचल में गोफ बनने और लोगों का उसी में समा जाने की घटनाएं होती रही है.   

कोयलांचल की भूमिगत आग तीस वर्षो से दे रही खतरनाक संकेत 

झरिया कोयलांचल की  यह भूमिगत आग 1995 से ही संकेत दे रही है कि अब उसकी अनदेखी खतरनाक होगी. 1995 में झरिया चौथाई कुल्ही में पानी भरने जाने के दौरान युवती जमींदोज हो गई थी. 24 मई 2017 को इंदिरा चौक के पास बबलू खान और उसका बेटा रहीम जमीन में समा गए थे. इस घटना ने भी रांची से लेकर दिल्ली तक शोर मचाया ,लेकिन परिणाम निकला शून्य बटा सन्नाटा. 2006 में शिमलाबहाल में खाना खा रही  महिला जमीन में समा गई थी. 2020 में इंडस्ट्रीज कोलियरी में शौच के लिए जा रही महिला जमींदोज हो गई थी. फिर इधर  28 जुलाई 2023 को घनुड़ीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान गोफ में चला गया .पहले तो बीसीसीएल प्रबंधन घटना से इंकार करता रहा लेकिन जब मांस जलने की दुर्गंध बाहर आने लगी तो झरिया सीओ की पहल पर NDRF की टीम को बुलाया गया.  टीम ने कड़ी मेहनत कर 210 डिग्री तापमान के बीच से परमेश्वर चौहान के शव का अवशेष निकाला था. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो