धनबाद(DHANBAD): लोगों को ठगने के लिए साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे है. पुलिस और प्रतिबिंब एप से बचने के लिए विदेशी लिंक तक तलाश लिए है. यह सब जामताड़ा के अपराधियों ने ही तैयार किया है. वैसे भी समूचे दुनिया में जामताड़ा मॉड्यूल सक्रिय है. जामताड़ा के साइबर अपराधी विभिन्न जिलों में फ़ैल कर अब जंगल में बैठकर लोगों को ठगने के बजाय लग्जरी कारों में बैठकर गैंग ऑपरेट कर रहे है. पुलिस की ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए साइबर अपराधी यह सब तरीका निकाल लिए है. लग्जरी वाहनों में बैठकर एक शहर से दूसरे शहर घूम रहे है. पुलिस को चकमा दे रहे है. शिकार को फंसा रहे है. एक शहर की एटीएम से पैसा गायब कर दूसरे शहर में पहुंच जा रहे है. ऐसे में पुलिस जब ट्रेस करती है, तो उनका वास्तविक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है. पुलिस को साइबर अपराधियों के अगले ठिकाने का लोकेशन नहीं मिल पाता है. यह सब जामताड़ा के अपराधियों ने ही तैयार किया है, ऐसा सूत्र बताते है. पिछले एक -दो सालों से साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में साइबर अपराधियों का विदेशी कनेक्शन भी सामने आ रहा है.
विदेशी कनेक्शन भी जामताड़ा के ही मॉड्यूल का खेल है
दरअसल, विदेशी कनेक्शन भी जामताड़ा के ही मॉड्यूल का खेल है. जामताड़ा पर जब पुलिस का दबाव बढ़ा तो वह अपने तरीके को हाईटेक कर विदेश से अपना कनेक्शन जोड़ लिए. पहले ठगी के पैसे देश के फर्जी डॉक्यूमेंट पर खोले गए खातों में जाता था. अब वह पैसे विदेशी अकाउंट में जाने लगे. वैसे, झारखंड के चार जिले साइबर अपराध के लिए बदनाम हो गए है. जामताड़ा ,धनबाद, गिरिडीह और देवघर बावजूद सबसे अधिक खतरनाक जामताड़ा ही है. जामताड़ा के अपराधी साइबर अपराध में आज भी सबसे अधिक सक्रिय है और लगातार अपराध कर रहे है. इंटरनेट की दुनिया का तेजी से हुआ विकास जामताड़ा के अपराधियों के लिए मौका लेकर आ गया है. साइबर अपराधी अब इंटरनेशनल सिम का उपयोग कर रहे है. जिसकी वजह से पुलिस भी उन्हें ट्रेस नहीं कर पाती है. पहले अपराधी ठगी करते थे, तो वह कॉल तुरंत ट्रेस हो जाता था. क्योंकि लोकल सिम कार्ड का प्रयोग होता था. लेकिन अब इंटरनेशनल सिम का प्रयोग हो रहा है.
झारखंड में भी साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है
झारखंड में भी साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है. इस बीच पता चला है कि झारखंड पुलिस इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन केंद्र की सहायता से साइबर अपराधियों से निपटने के लिए साइबर कमांडो तैयार करने का निर्णय लिया है. तकनीक के जानकार पुलिस अधिकारियों को साइबर कमांडो के रूप में तैयार किया जा रहा है. साइबर अपराधियों से निपटने के लिए झारखंड में पहली बार साइबर कमांडो तैयार किये जा रहे है. साइबर कमांडो साइबर अपराधियों की बारीकियां को समझ कर निपटने में खुद को सक्षम बना रहे है. साइबर कमांडो बिना हथियार और वर्दी के होंगे, जो साइबर एक्सपर्ट के तौर पर झारखंड पुलिस के लिए काम करेंगे. वह साइबर अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त करेंगे. देखना है कि साइबर कमांडो की तैनाती के बाद भी साइबर अपराधियों पर किस हद तक नकेल कसा जा सकता है?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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