धनबाद(DHANBAD): तो क्या झारखंड में नामी -गिरामी दवा की  डुप्लीकेसी हो रही है. नकली दवा तैयार की जा रही है. अगर किसी शहर में ब्रांडेड दवा  का रैपर और स्टीकर  अवैध तरीके से प्रिंट किया जाता हो , तो इसका क्या मतलब निकाला जा सकता है. मतलब तो यही  निकलेगा कि उस शहर तक नकली दवा के धंधेबाजों  की पहुंच हो गई है. अगर धनबाद में इस तरह के काम हो रहे है, तो क्या गारंटी है की प्रदेश के अन्य शहरों  में यह काम नहीं हो रहा होगा.   धनबाद जैसे शहर में ब्रांडेड दवा कंपनियों के  रैपर  बिना दवा कंपनियों के ऑर्डर के छापा जाता है , तो निश्चित रूप से यह दवा के अवैध कारोबारियों  तक पहुंचता होगा. 

धनबाद के बेकारबांध में छापेमारी से हुआ है खुलासा 
 
सूचना के  अनुसार धनबाद के बेकारबांध  में मल्टीनेशनल ब्रांडेड दवा कंपनियों के रैपर अवैध तरीके से एक प्रिंटिंग प्रेस में छापे जा रहे थे.  इसका खुलासा दिल्ली से धनबाद पहुंची ब्रांड प्रोटक्शन सर्विसेज की टीम ने किया है.  यह टीम मंगलवार को धनबाद पहुंची और धनबाद पुलिस के सहयोग से बेकारबांध  के गुप्तेश्वर कंपलेक्स के फ्लेक्स प्रिंटिंग प्रेस में दविश दी.  पाया कि प्रिंटिंग प्रेस में धड़ल्ले से ब्रांडेड कंपनियों  का नकली स्टीकर तैयार किये  जा रहे थे.  भारी मात्रा में विभिन्न दवा कंपनियों के साथ-साथ फेवीक्विक के रैपर प्रिंट किये जा   रहे थे.  पुलिस ने तत्काल प्रिंटिंग प्रेस के संचालक  को हिरासत में ले लिया है. 

दवा कंपनियों के 42620 स्टीकर  और 420 पीस रैपर बरामद 

 मौके से  दवा कंपनियों के 42620 स्टीकर  और 420 पीस रैपर बरामद किए गए है.  सभी सामग्रियों को जब्त  कर पुलिस ले आई है.  ब्रांड प्रोटक्शन सर्विसेज के मुख्य जांच कर्ता  की शिकायत पर धनबाद थाना में प्रिंटिंग प्रेस के संचालक के खिलाफ कॉपीराइट और ट्रेडमार्क अधिनियम की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है.  सवाल यह नहीं है कि एफआईआर  हो गई है और प्रिंटिंग प्रेस के संचालक गिरफ्तार हो गया  है.  प्रिंटिंग प्रेस को किसने ऑर्डर किया, छपाई के बाद फर्जी स्टीकर और रैपर कहां ले जाए जाते थे, कौन इसके पीछे मास्टरमाइंड है. 

पुलिस को गंभीरता से इसकी जाँच करनी चाहिए 
 
इन सब तथ्यों की जानकारी पुलिस को इकट्ठी करनी चाहिए.  क्योंकि अगर स्टिकर और रैपर छपवाने वाले नकली दवा  के धंधे में शामिल हैं, तो यह  अपराध के श्रेणी में से भी ऊपर आता होगा. सीधे जीवन रक्षा से जुड़ा है.   वैसे भी मेडिकल क्षेत्र आज कल व्यवसाय बन गया है.  कहा तो यही जाता है कि घर में अगर कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए (ईश्वर ना करें) तो उसकी लगभग सारी संपत्ति इलाज में खर्च हो जाती है.  सरकारी अस्पतालों का हाल तो सभी जानते है.  वैसे भी रेफर करने की बीमारी से छोटे अस्पताल बुरी तरह ग्रसित है.  ऐसे में अगर इस तरह के  फर्जी काम  हो रहे है.  अवैध  दवा के अवैध कारोबारी अगर धनबाद जैसे शहर में सक्रिय हैं, तो फिर यह शहर के लिए भी बड़ी चुनौती है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो