रांची(RANCHI): झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं की मौजूदा स्थिति छात्रों में असंतोष और अविश्वास को जन्म दे रही है. जहां एक ओर झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की मुख्य परीक्षा के नतीजे घोषित होने से सफल अभ्यर्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई है, वहीं दूसरी ओर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की CGL परीक्षा के परीक्षार्थी अब भी संशय और न्याय की आस में इंतजार कर रहे हैं. सरकार, आयोग और न्यायपालिका की खामोशी ने युवाओं को गहरे असमंजस में डाल दिया है.
JPSC मुख्य परीक्षा: संघर्ष के बाद सफलता
JPSC की 11वीं मुख्य परीक्षा के परिणाम हाल ही में जारी किए गए, जिसमें 800 अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की. यह वही परीक्षा है जिसे लेकर अभ्यर्थियों ने लंबे समय तक आंदोलन चलाया था. धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल और राज्यपाल से मिलकर अपनी बात रखने जैसे प्रयासों के बाद अंततः आयोग को निर्णय लेना पड़ा और छात्रों की मेहनत रंग लाई.
JPSC परिणाम के बाद अब सभी की निगाहें JSSC CGL परीक्षा की ओर हैं, जो पिछले वर्ष सितंबर में आयोजित की गई थी. हालांकि परिणाम प्रकाशित होने के बाद परीक्षा में गड़बड़ी और पेपर लीक की शिकायतें सामने आईं, जिसके चलते पूरे मामले पर रोक लग गई. अदालत में याचिका दाखिल हुई और झारखंड हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच दल (SIT) को जांच सौंपी. फिलहाल जांच जारी है और अगली सुनवाई 18 जून को होनी है.
यह पहला मौका नहीं है जब JSSC की परीक्षाओं में अनियमितताओं की शिकायत आई हो. जुलाई 2022 में जूनियर इंजीनियर की परीक्षा का पेपर लीक हुआ था और इस मामले में रंजीत मंडल को ओडिशा से गिरफ्तार किया गया था. 2023 में डिप्लोमा स्तरीय परीक्षा में भी पेपर लीक की पुष्टि हुई, जिसमें परीक्षा संचालित करने वाली निजी एजेंसी की संलिप्तता सामने आई और उसे काली सूची में डाल दिया गया.
झारखंड में केवल प्रतियोगी परीक्षाएं ही नहीं, बल्कि स्कूली परीक्षाएं भी सुरक्षित नहीं बची हैं। फरवरी 2024 में JAC बोर्ड द्वारा आयोजित 10वीं कक्षा की परीक्षा का भी प्रश्नपत्र लीक हो गया था, जिसके बाद परीक्षा दोबारा कराई गई. इस प्रकार की घटनाएं पूरे शैक्षणिक ढांचे की गंभीर खामियों को उजागर करती हैं.
जांच और गिरफ्तारी: लेकिन समाधान अभी दूर
JSSC CGL पेपर लीक की जांच में अब तक दर्जनों लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें परीक्षा केंद्रों के कर्मचारी, दलाल और कुछ सरकारी अधिकारी शामिल हैं.
झारखंड के युवा पारदर्शी प्रणाली, समयबद्ध न्याय और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. यदि JPSC जैसे आयोग संघर्ष के बाद ही सही, लेकिन निष्पक्ष निर्णय ले सकते हैं, तो फिर JSSC से ऐसी उम्मीद क्यों न की जाए? राज्य सरकार, आयोग और न्यायालय को अब खामोश दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय मार्गदर्शक बनकर छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.
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