टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : क्या बड़े किरदार को बचाने के लिए आईएएस अधिकारी विनय चौबे को गिरफ्तार कर लिया गया? आखिर इस पूरे शराब घोटाले में कितने किरदार हैं और इतना बड़ा एक्शन एसीबी ने किसके इशारे पर लिया है? इस मामले पर सवाल भाजपा भी पूछ रही है और आरोप सीधे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगा रही है.
जिस तरह से शराब घोटाले में पहली बार एसीबी ने किसी आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया है उसकी चर्चा पूरे देश में है. आखिर पूरा मामला क्या है कि इतना बड़ा एक्शन एसीबी ने अपनी ही सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ ले लिया. पूछताछ की और 5 घंटे बाद ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इन पर 38 करोड रुपए के घोटाले का आरोप लगा है. दावा किया गया है एसीबी की ओर से की अपने पद का दुरुपयोग कर गलत नीति बनाकर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया है.
आईएएस अधिकारी विनय चौबे की गिरफ्तारी के बाद नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक पर लिखा कि-‘मैं अप्रैल 2022 में ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर झारखंड और छत्तीसगढ़ में होने वाले शराब घोटाले के संदर्भ में आगाह किया था. सरकार ने मेरे पत्र और चेतावनी को न सिर्फ नजर अंदाज किया बल्कि छत्तीसगढ़ के शराब माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए झारखंड में हजारों करोड़ के शराब घोटाले को अंजाम देने में सहयोग किया. शराब माफियाओं के खर्चे पर हेमंत सरकार की पूरी कैबिनेट रायपुर दौरे का लुत्फ उठाया. अब जब छत्तीसगढ़ में कार्रवाई हो रही है. मामला ईडी और सीबीआई तक पहुंच गया है तब झारखंड में एसीबी द्वारा की जा रही है, एसीबी के इस जांच पर भला कैसे भरोसा किया जा सकता है. ऐसा प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ में चल रही सीबीआई जांच से डर कर अब बड़ी मछलियों को बचाने के लिए कुछ छोटे लोगों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. यदि हेमंत जी वास्तव में घोटाले की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं, उनमें हिम्मत है तो वह मामले की जांच सीबीआई को करने का आदेश दें..’
बता दें कि कथित शराब घोटाले मामले में झारखंड के आईएएस अधिकारी विनय चौबे को गुरुवार देर शाम एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया. विनय चौबे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं. जिस तरह से उत्पाद सचिव रहते हुए एक ऐसी नीति बनवाई जिससे घोटाले हुए तो इसकी जांच होगी तो कई परत खुलेगी और कई किरदार सामने आ सकते हैं.
2019 में हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने उनके सचिव की भूमिका में विनय चौबे रहे थे. साल 2022 में छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन को शराब नीति में एंट्री दिलाई गई. अरुण त्रिपाठी को झारखंड का सलाहकार बनाया गया. छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने झारखंड के शराब कारोबार पर कब्जा किया तो उत्पाद सचिव विनय चौबे ही थे.
छत्तीसगढ़ में शुरू हुई जांच में कई गड़बड़ी आज सामने आयी. जिसके बाद ACB ने केस दर्ज किया. इस मामले में परिवर्तन निदेशालय अलग से जांच कर रही है. झारखंड एसीबी ने 7 अक्टूबर 2024 को पीई दर्ज की थी. अब यह एफआईआर में तब्दील हो गई है. इस शराब को घोटाले की जांच सीबीआई भी शुरू कर चुकी है और अब एसीबी केस के आधार पर ईडी भी नया मुकदमा दर्ज करेगी.
रिपोर्ट-समीर
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