धनबाद (DHANBAD) : विशेष गहन पुनरीक्षण(SIR) की "आग "अब बिहार से चलकर झारखंड पहुंच गई है. बंगाल में भी सुलग रही है. वैसे तो अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण कराने की तैयारी है. झारखंड में भी सत्ता पक्ष इसका पुरजोर विरोध कर रहा है. आरोप लगा रहा है कि गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को मतदान से वंचित करने का यह साजिश है. बिहार में भी विपक्षी दल इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे है. लोकसभा में भी यह मामला पंहुचा है. इधर, झारखंड में इसके खिलाफ विधेयक लाकर विशेष गहन पुनरीक्षण को रोकने के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजने की बात तय हो गई है.
झारखंड में सत्ताधारी दल क्यों उतरे विरोध में
सवाल उठता है विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध क्यों हो रहा है? क्या वोटरों के नाम कटने का खतरा है या और कोई बात है. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद इसका विरोध कर रहे है. यहां गठबंधन की सरकार चल रही है. झारखंड में सत्ता पक्ष का कहना है कि SIR सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र है. भाजपा चुनाव आयोग के माध्यम से इसे गैर भाजपा शासित राज्यों पर जानबूझकर थोप रही है. भाजपा के शासनकाल में गरीब और कमजोर वर्ग प्रभावित है. भाजपा SIR के जरिए गरीब और कमजोर लोगों को मतदान के अवसर से हटाना चाह रही है. दरअसल, भाजपा पहले से ही आरोप लगा रही है कि झारखंड के कई हिस्सों में घुसपैठ है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ कहा कि इंडिया गठबंधन विरोध करेगा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ कहा कि इंडिया गठबंधन, बिहार में चुनाव आयोग द्वारा लागू किए गए SIR जैसे फैसलों के खिलाफ है, और झारखंड में भी इसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि, 'यह फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है, जो चिंता का विषय है.'झारखंड के संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने जानकारी दी कि मॉनसून सत्र के दौरान विधानसभा से SIR के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले सभी सवालों का तार्किक जवाब देने की तैयारी भी की गई है.'मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी भी SIR पर सरकार को घेरने की तैयारी में है.वैसे भी झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ, डेमोग्राफी को लेकर पक्ष -विपक्ष आमने-सामने होते रहे है. ऐसे में जब SIR की बात उठी है, तो पक्ष -विपक्ष में तलवारे खिचेंगी. विधानसभा में भी इसके दृश्य देखने को मिल सकते है. बिहार की तरह झारखंड में भी सड़क पर विरोध हो सकता है.
गहन पुनरीक्षण के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरुरत पड़ सकती है
गहन पुनरीक्षण के लिए किन -किन दस्तावेजों की जरुरत पड़ सकती है ,के बारे में बताया जाता है कि केंद्र, राज्य या पीएसयू के नियमित कर्मचारी/पेंशनभोगी का पहचान पत्र या पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ), 01.07.1987 से पूर्व निर्गत किया गया कोई भी पहचान पत्र/प्रमाणपत्र/दस्तावेज,. जन्म प्रमाण पत्र,. पासपोर्ट, मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी मैट्रिकुलेशन/शैक्षणिक प्रमाण पत्र,. स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां यह उपलब्ध हो), राज्य/स्थानीय प्राधिकारों द्वारा तैयार किया गया पारिवारिक रजिस्टर, सरकार का कोई भी भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र,हालांकि यह दस्तावेज अंतिम नहीं हैं, अगर कोई मतदाता इन दस्तावेजों के अलावा किन्हीं दूसरे दस्तावेजों के जरिए अपने जन्म और पहचान का प्रमाण देकर ईआरओ को संतुष्ट कर लेता है तो उसका नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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