धनबाद(DHANBAD): रिम्स (रांची) झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. आधुनिक सुविधाओं का दावा किया जाता है. लेकिन झारखंड के मंत्री रिम्स पर भरोसा नहीं करते. तबीयत बिगड़ने पर सीधे वह दिल्ली की ओर रुख करते है. बात चाहे शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की कर ली जाए या वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर की या फिर उत्पाद मंत्री जोगेंद्र महतो की. यह सभी हेमंत सोरेन पार्ट -2 में मंत्री है. दुर्भाग्यवश तीनों की तबीयत 2025 में बिगड़ी. शिक्षा मंत्री तो शनिवार को चोटिल हुए है. उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली ले जाया गया है. इसके पहले झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर को भी बेहतर इलाज के लिए विशेष विमान से दिल्ली ले जाया गया था. उनको विदा करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी पहुंचे थे.
वित्त मंत्री के बाद शिक्षा मंत्री भी बेहतर इलाज के लिए गए दिल्ली
खांसी की शिकायत के बाद उन्हें रांची के आर्किड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद उन्हें नई दिल्ली ले जाया गया. इसके पहले अगर उत्पाद मंत्री जोगेंद्र महतो की बात कर ली जाए तो मई महीने में जोगेंद्र महतो के सीने में दर्द की शिकायत के बाद रांची के पारस हॉस्पिटल में भर्ती कराये गए थे. यह अलग बात है कि वह दिल्ली इलाज के लिए नहीं गए और वहीं ठीक हो गए. सवाल उठता है कि क्या रिम्स की व्यवस्था अपडेट नहीं है या फिर मंत्री सरकारी अस्पताल में इलाज करना नहीं चाहते है. झारखंड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लगातार दावे कर रही है. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी ने लगातार दावा कर रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो रहा है तो फिर आखिर क्या वजह है कि झारखंड सरकार के मंत्री रिम्स के बजाय दिल्ली की ओर रुख करते है. फिलहाल शिक्षा मंत्री और घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन अपने ही घर में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए है. यह सूचना मिलते ही बेहतर इलाज के लिए सरकार उन्हें तत्काल एयरलिफ्ट कर दिल्ली ले गई है.
शिक्षा मंत्री अपने घोड़ाबांध स्थित आवास के बाथरूम में गिर गए
सूचना के अनुसार शिक्षा मंत्री अपने घोड़ाबांध स्थित आवास के बाथरूम में गिर गए. उन्हें गंभीर चोट लगी है. ब्रेन में खून का थक्का जम गया है. पहले उनके परिजन टाटा मोटर्स अस्पताल ले गए. वहां से एयरलिफ्ट किया गया. इसकी जानकारी सबसे पहले झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी. भगवान् करे वह जल्द ठीक होकर झारखंड लौटे.झामुमो के कद्दावर नेता है. थोड़ा रिम्स के इतिहास को भी जानना यहाँ जरुरी है. झारखंड में स्वास्थ्य जुड़ी अधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन इसी अस्पताल से शुरू होता है. झारखंड सरकार भी देश में अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को इसी अस्पताल के जरिए प्रदर्शित करती है.
राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोग खूब करते है भरोसा
राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोग भी यही सोचकर आते हैं कि रिम्स आने पर उनकी जान बच जाएगी. राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी. उस समय के तत्कालीन दीवान कर्नल पीताबंर नाथ ने जमीन की तालाश की और 214 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गयी. वर्ष 1960 में एमबीबीएस की 150 सीटों पर पहले साल विद्यार्थियों का नामांकन हुआ. झारखंड अलग राज्य का गठन होने के बाद वर्ष 2002 में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच) का नाम बदल कर राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) हो गया.रिम्स को एम्स के तर्ज पर डॉक्टर और चिकित्सा सेवाओं की सुविधाएं शुरू की गयीं. चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि होने के कारण मरीजों की संख्या बढ़ती गयी. राज्य सरकार से रिम्स को हर साल क्रोरो का फंड मिलता है.अब तो ऐसे बढ़ाने की लगातार मांग हो रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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