TNP DESK- बिहार में नीतीश कुमार गुरुवार को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नीतीश कुमार बिहार में सबसे अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री पर बने रहने का रिकॉर्ड तो पहले ही अपने नाम कर लिया था. अब अगर पांच साल सीएम रह गए तो सबको रिकॉर्ड में पछाड़ देंगे. फिलहाल देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री उनसे आगे हैं, जो रिकॉर्ड लगभग 25 साल तक अपने राज्य की सेवा की है. 2000 में भी वह सीएम बने लेकिन इनका कार्यकाल सात दिनों का रहा. 2005 के बाद से लगातार वह बिहार के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाले हुए है.
चुनाव होते रहे, परिणाम निकलते रहे लेकिन नीतीश कुमार बने रहे
बिहार में चुनाव होते रहे, परिणाम निकलते रहे लेकिन नीतीश कुमार कुर्सी पर बने रहे. नीतीश कुमार अलग-अलग गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री रहे. 2014 में कुछ दिनों के लिए जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बने ,लेकिन वह भी नीतीश कुमार की कृपा से ही बने थे. 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू 85 सीट जीती है. अगर नीतीश कुमार अगले 5 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे, तो वह देश के सभी मुख्यमंत्री को पीछे छोड़कर रिकॉर्ड बना लेंगे.
आइये आपको बताते है कि -देश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री कौन -कौन रहे ---
पवन कुमार चामलिंग(सिक्किम) - 12 दिसंबर 1994 से 26 मई 2019 - 24 साल 165 दिन
नवीन पटनायक (ओडिशा) - 5 मार्च 2000 से 12 जून 2024 - 24 साल 99 दिन
ज्योति बसु (बंगाल)- 21 जून 1977 से 5 नवंबर 2000 - 23 साल 137 दिन
गेंगोंग अपांग (अरुणाचल) - 18 जनवरी 1980 से 19 जनवरी 1999 - 22 साल 250 दिन
लाल थनहावला (मिजोरम) - 1984 से 1998 के बीच कई बार - 22 साल 60 दिन
वीरभद्र सिंह (हिमाचल) - 1983 से 2017 के बीच- 21 साल 13 दिन
माणिक सरकार (त्रिपुरा) - मार्च 1998 से 2018- 19 साल 363 दिन
नीतीश कुमार (बिहार) - मार्च 2000 से अब तक- 19 साल 93 दिन
एम. करुणानिधि (तमिलनाडु) - जनवरी 1989 से मई 2011-18 साल 362 दिन
प्रकाश सिंह बादल (पंजाब)-मार्च 1970 से मार्च 1977 के बीच - 18 साल 250 दिन
बिहार में सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएम
नीतीश कुमार : 6485 दिन
श्रीकृष्ण सिंह : 3199 दिन
राबड़ी देवी : 2746 दिन
लालू यादव : 2693 दिन
जगन्नाथ मिश्रा: 2006
केबी सहाय: 1250 दिन
बिंदेश्वरी दुबे: 1068 दिन
बिनोदानंद झा: 956 दिन
कर्पूरी ठाकुर : 828 दिन
नीतीश कुमार का 1977 से लेकर अब तक का राजनीतिक सफर
साबित हो गया बिहार में "टाइगर" अभी जिंदा है. पोस्टर लगाने वाले जीत गए. बिहार में बहार है,नीतीशे कुमार है. आखिर कुछ तो खास है, इस पॉलिटिशियन में कि 20 साल से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज है. कोई हिला नहीं पा रहा है. . नीतीश कुमार की राजनीतिक जीवन पर अगर नजर डालें तो इसकी शुरुआत 1977 में हुई थी. इस समय बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन शिखर पर था. 1977 में नीतीश कुमार पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन वह जीत नहीं पाए. हरनौत में वह भोला प्रसाद सिंह से हार गए थे.
1985 में नीतीश कुमार पहली बार बने विधायक
1985 में नीतीश कुमार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद 1987 में बिहार के युवा लोक दल के अध्यक्ष बने. 1989 में नीतीश कुमार को जनता दल का महासचिव बना दिया गया. 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए. यह उनके लोकसभा का पहला कार्यकाल था. इसके बाद साल 1990 में नीतीश कुमार अप्रैल से नवंबर तक केंद्रीय कृषि एवं सहकारी विभाग के मंत्री रहे. साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुआ. नीतीश कुमार एक बार फिर संसद में पहुंचे. फिर 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए. 1998 में फिर वह 12वीं लोकसभा के लिए चुन लिए गए. फिर वह लगभग 1 साल के लिए केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे. 1999 में नीतीश कुमार फिर लोकसभा का चुनाव जीता. साल 2000 में नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में लौट आए और पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने.
3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक भी रहे बिहार के सीएम
उनका कार्यकाल 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक रहा. साल 2000 में नीतीश कुमार एक बार फिर केंद्रीय कृषि मंत्री बने. साल 2001 से 2004 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री रहे. 2004 में नीतीश कुमार फिर लोकसभा के लिए चुने गए. साल 2005 में नीतीश कुमार दूसरी बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने. फिर एक नाटकीय घटनाक्रम हुआ. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हुई हार का जिम्मा लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद का कार्यभार सौप दिया था. लेकिन जीतन राम मांझी एक साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री नहीं रह सके. 22 फरवरी 2015 को उन्होंने एक बार फिर बिहार की कमान संभाली. 2005 से लेकर लेकर 2025 तक की बात की जाए, तो नीतीश कुमार थोड़े दिनों के को छोड़ दिया जाए, तो बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे.
गठबंधन बदलता रहा लेकिन नहीं बदले नीतीश कुमार
यह अलग बात है कि बिहार में गठबंधन बदलता रहा, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे. 2020 में नीतीश कुमार को करारा झटका लगा, जब उनकी पार्टी जदयू को केवल 45 सीट पर संतोष करना पड़ा. महागठबंधन में शामिल सभी दलों को मिलाकर 110 सीट आ रही थी, जो बहुमत से कम थी. 125 सीट जीतकर एनडीए की एक बार फिर सरकार बनी. भाजपा से कम सीट होने के बावजूद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने. इधर, 2022 के आते-आते भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश कुमार के खिलाफ बयान बाजी शुरू कर दी. इससे नीतीश कुमार को लगा कि भाजपा जदयू को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. आर सी पी सिन्हा को भाजपा ने केंद्र में मंत्री बना दिया. फिर जदयू ने आर सी पी सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया. नीतीश कुमार को लगा कि भाजपा पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है. इस सियासी उठा पटक के बीच नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला और 2022 में महागठबंधन के साथ आ गए. नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया और महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर फिर शपथ ली. हालांकि यह साथ ज्यादा दिन तक नहीं चला और जनवरी 2024 में फिर नीतीश कुमार का मन बदला और उन्होंने एनडीए में वापसी कर ली. 2025 में फिर उन्होंने सीएम पद की शपथ ली है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो

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