टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड में राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम (NPCBVI) के तहत मोतियाबिंद ऑपरेशन के आंकड़ों में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं. सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति की सिर्फ दो आंखें होती हैं, इसलिए अधिकतम दो बार ही ऑपरेशन हो सकता है. लेकिन सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले हैं. कई मरीजों के चार से पाँच बार तक ऑपरेशन दिखाए गए हैं.
धनबाद के Hi-Tech अस्पताल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कई ऐसे मामलों का जिक्र है, जहाँ एक ही व्यक्ति का कई-कई बार ऑपरेशन दर्ज किया गया है. कुछ मरीजों का ऑपरेशन दूसरे अस्पतालों में भी दिखाया गया है.
जैसे की परवती देवी की आंख का ऑपरेशन छह बार दर्ज है, तीन बार Hi-Tech में, एक बार ASG अस्पताल में, एक बार IRIS Eye Hospital में और एक बार नयन सुख नेत्रालय में.
सरकार NPCBVI के तहत हर मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए अस्पताल को 2500 रुपये देती है. ऐसे में ऑपरेशन के कई-कई बार दर्ज होने से गड़बड़ी और धांधली की आशंका बढ़ जाती है.
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि धनबाद के अस्पताल ने पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के मरीजों के ऑपरेशन भी अपने रिकॉर्ड में दिखाए हैं, जो संदिग्ध प्रतीत होता है.
लक्ष्य से अधिक ऑपरेशन
योजना के वार्षिक आंकड़ों में भी संदेह पैदा करने वाली स्थिति दिखती है:
2023-24 में लक्ष्य था 2,19,500 ऑपरेशन. किए गए: 2,41,062
2024-25 में लक्ष्य था 2,56,100 ऑपरेशन. किए गए: 2,56,535
कुछ चौंकाने वाले मामले
बालिका देवी – 9 बार ऑपरेशन (Hi-Tech अस्पताल)
लक्खी देवी – 6 बार ऑपरेशन
अब्दुल हफीज – 3 बार ऑपरेशन (2 Hi-Tech, 1 धनबाद नर्सिंग होम)
अब्दुल रहीम – 3 बार ऑपरेशन
अलका देवी – 4 बार ऑपरेशन
आनंदा गोराई – 3 बार ऑपरेशन
अंजना देवी – 3 बार ऑपरेशन
आसमा बीबी – 4 बार ऑपरेशन
अजीत देव – 3 बार ऑपरेशन (बांकुड़ा के निवासी)
बादल महतो – 4 बार ऑपरेश
दिनेश प्रसाद चौरसिया – 3 बार ऑपरेशन
झीमन बीबी – 3 बार ऑपरेशन
जैतुन बीबी – 4 बार ऑपरेशन
इतने असामान्य और अव्यावहारिक आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि योजना में बड़े स्तर पर गड़बड़ी और फर्जीवाड़ा हो सकता है. मामले की जांच जरूरी है, ताकि इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके.

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