धनबाद (DHANBAD) : झारखंड शराब घोटाले में अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद कई के हल्क सूखे हुए हैं, तो कई पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. झारखंड शराब घोटाले में अजब-गजब खेल हुआ है. फर्जी दस्तावेज को स्वीकारने के पहले शायद कोई जांच नहीं की गई, नतीजा हुआ कि अधिकारियों के संबंधी से लेकर परिचित तक शराब कंपनियों में पार्टनर बन गए और फिर फर्जी दस्तावेज देकर ठेका आवंटित करा लिया गया. यह भी झारखंड के इतिहास में अब तक पहली बार हुआ है कि किसी आईएएस अधिकारी को निगरानी ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है.
विनय चौबे पहले है, जिन्हें ACB ने गिरफ्तार किया
विनय चौबे के रूप में यह गिरफ्तारी हुई है. सजल चक्रवर्ती से शुरू हुआ गिरफ्तारी का सिलसिला विनय चौबे तक पहुंच गया है. अब तक जिन अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें कई रांची के डीसी रह चुके है. एक तो धनबाद के डीसी भी रहे है. दूसरे धनबाद के नगर आयुक्त बने थे. गिरफ्तारी का यह सिलसिला सजल चक्रवर्ती से शुरू हुआ, उसके बाद डॉक्टर प्रदीप कुमार, सियाराम प्रसाद सिंह, पूजा सिंघल, छवि रंजन, अनिल कुमार, विनय कुमार चौबे इसमें शामिल हुए. खास बात यह है कि केवल विनय कुमार चौबे को ही निगरानी ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है. जबकि अन्य अधिकारियों को ईडी अथवा सीबीआई ने अरेस्ट किया था.
सजल चक्रवर्ती, जो अब इस दुनिया में नहीं है
सजल चक्रवर्ती, जो अब इस दुनिया में नहीं है, बहुचर्चित चारा घोटाले में उन पर शामिल होने का आरोप है. वह झारखण्ड के मुख्य सचिव भी बने थे. एक समय वह चाईबासा के डीसी थे, उस समय कोषागार से से 33 करोड़ से भी अधिक की निकासी की गई थी. जिसमें उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. सजल चक्रवर्ती अब इस दुनिया में नहीं है. पूर्व स्वास्थ्य सचिव डॉ प्रदीप कुमार पर राष्ट्रीय ग्राम स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत दवा और उपकरणों की खरीद में अनियमितता का आरोप है. आरोप के अनुसार फर्जी दस्तावेज के आधार पर दवा की खरीद की गई. इससे सरकार को भारी नुकसान हुआ. फिलहाल वह जमानत पर हैं, लेकिन सूत्र बताते है कि मामले की सुनवाई चल रही है. 1988 बैच के पूर्व स्वास्थ्य सचिव सियाराम प्रसाद सिंह को भी एनआरएचएम घोटाले में सह आरोपी बनाया गया था. फिलहाल वह जमानत पर है. मगर मामला अभी भी विचाराधीन है.
2000 बैच की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल
2000 बैच की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को मनरेगा योजना में करोड़ों के दुरुपयोग के आरोप में ईडी ने गिरफ्तार किया था. उनके आवासों से नगदी के अलावा कई डिजिटल सबूत भी बरामद किए गए थे. फिलहाल वह जमानत पर हैं और वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत है. लेकिन मुकदमा अभी लंबित है. रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन पर सरकारी जमीन की अवैध बिक्री और दस्तावेजों की हेराफेरी के आरोप है. फिलहाल वह रांची के होटवार जेल में बंद है. 1999 बैच के वरिष्ठ आईएएस विनय कुमार चौबे पर आरोप है कि उन्होंने झारखंड की नई शराब नीति के इम्प्लीमेंटेशन में गंभीर गड़बड़िया की है. निगरानी ब्यूरो ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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