साहिबगंज: संथाल परगना क्षेत्र का राजमहल पहाड़ की तलहटी एवं गंगा किनारे बसा छोटा सा साहिबगंज जिला अपने आप में विशेष महत्व रखता है. यहां की प्रकृति द्वारा प्रदत प्राकृतिक खूबसूरती और वन खनिज संपदा भरपूर मात्रा में मिला है. यहां तक कि इन खूबसूरत वन क्षेत्र में कई दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडारण है.यहां के पहाड़ों से ओषधि स्वरूप काफी मात्रा में जड़ीबूटियां विभिन्न राज्यों में दवा निर्मित को जाती है. साथ हीं साथ इस जिला में धरोहर स्वरूप पुराने जमाने के कई महत्वपूर्ण किला तथा अवशेष एवं स्मारक देखने को मिलेंगे जो बीते जमाने के इतिहास को याद दिलाता है, ऐसे में एक किला है तेलियागढ़ किला जिसका इतिहास काफी पुराना है इनके चर्चा के बगैर जैसा इतिहास अधूरा होगा.

आज के वर्तमान समय में यह किला अपने अस्तित्व खो रहा है. यह स्मारक खंडहर में तब्दील हो रहा है,तो कुछ असामाजिक तत्वों के निशाने पर है.एक जमाने में यह किला बंगाल के प्रवेश द्वार के नाम से पूरे भारत में प्रचलित था,पुराने काल में अगर पश्चिम भार त से पूर्व भारत को जाना होता था तो यही एक जल मार्ग में पुराना तेलियागढ़ किला के रास्ते लोगों का आना जाना होता था.आज के समय में यह किला मात्र खंडहर में तब्दील है. साथ ही साथ सरकारी विधि व्यवस्था एवं सरकारी देख-रेख के अभाव में यह किला ढहने लगा है और यहां के कुछ असामाजिक लोगों के द्वारा किला को ध्वस्त कर दिया गया है. विशेष बात यह है आज के वर्तमान समय में इस किला के आसपास जंगल झाड़ी सा हो गया है लोग यहां पर्यटन के लिए आते तो हैं किन्तु खतरा के भय से पर्यटक घूम नहीं पाते है. यहां मौजूद तेलिया गढ़ किला के बचे कुछ अवशेष को लोग देख नहीं पाते हैं यहां चारों तरफ जंगल हीं जंगल है.

अवैध खनन से तेलियागढ़ का अस्तित्व को खतरा-बीते कुछ वर्षों से साहिबगंज जिला में पत्थर माफिया का कद काफी बढ़ गया है. इस किला के आसपास भारी मात्रा में अवैध खनन का कार्य प्रशासन को अंधेरे में रख कर चल रहा है. जो आने वाले वक्त में इस एतिहासिक किला के लिए खतरा से कम नहीं है।वहीं संरक्षण के अभाव के इनके आसपास के कुछ स्मारक को तोड़ दिया गया. ओर धीरे धीरे नष्ट हीं हो रहा है. यह कहा जा सकता है कि यह तेलियागढ़ किला असामाजिक तत्वों के निशाने पर है.

तेलियागढ़ किला हो रहा अतिक्रमण का शिकार

तेलियागढ़ किला के भौगोलिक स्थिति की माने तो यह किला का क्षेत्रफल लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर का होगा जो अब धीरे धीरे अतिक्रमण का शिकार होता जा रहा है. इस किला के पूर्व दिशा में फुस के झोपडी की संख्या लगातार बढ़ रहा है जो कि तेलियागढ़ किला के जमीनों पर अवैध कब्जा जैसा हालात है. साथ ही साथ यहां के लोगों की माने तो इस किले के आस पास कई अवैध गतिविधि कार्य किया जा रहा है. वहीं इस किला के जमीन पर अवैध रूप से पत्थर का भंडारण कर अवैध धंधा फलफूल रहा है. जिस पर सरकार मौन है. हालात अगर ऐसा रहा तो एक समय ऐसा आयेगा जब आने वाली पीढ़ी तेलियागढ़ किला को सिर्फ और सिर्फ ऐतिहासिक पन्नो एवं तस्वीरों में हीं देख पाएंगे,ओर इसका नामो-निशान मिट जाएगा. ऐसे में मौजूदा सरकार एवं भारत पुरातात्विक स्थलों का भारतीय पुरातात्विक संरक्षण विभाग को इसके रख रखाव एवं संरक्षण का विशेष आवश्यकता है,खास कर इस एतिहासिक किला के आसपास हो रहे अवैध खनन को पूर्णतया लगाम लगाने की आवश्यकता है.

क्या कहते हैं भूवैज्ञानिक सह मॉडल कॉलेज राजमहल के प्राचार्य डॉ रंजीत कुमार सिंह

वहीं तेलियागढ़ किला को लेकर भूवैज्ञानिक पदा धिकारी ने कहना है कि यह हमारा साहिबगंज के ऐतिहासिक धरोहर है,इसको नष्ट करना किसी का अधिकार नहीं है. यदि उसके आसपास खनन हो रहा है,तो जिला प्रशासन को इस माम ले में आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए.

रिपोर्ट: गोविन्द ठाकुर