पाकुड़ (PAKUR) : राज्य सरकार भले ही ‘सर्व शिक्षा अभियान’ और ‘आदिवासी उत्थान’ की बड़ी-बड़ी बातें कर रही हो, लेकिन हिरणपुर का अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय इन दावों की पोल खोलता नज़र आ रहा है. इस विद्यालय में करीब 300 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. कक्षा 1 से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई होती है. यहां पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ पाकुड़ ही नहीं, बल्कि दुमका, गोड्डा और साहिबगंज जैसे आसपास के जिलों से आते हैं. लेकिन इतने बड़े स्तर पर संचालित इस विद्यालय में शिक्षकों की संख्या सिर्फ 7 है.  जिनमें 3 नियमित शिक्षक और 4 घंटी आधारित शिक्षक शामिल हैं. जबकि नियमानुसार विद्यालय में कम से कम 17 शिक्षकों की आवश्यकता है.

शिक्षा के अधिकार पर घातक चोट

विद्यालय की वास्तविक स्थिति चिंताजनक है. एक शिक्षक को तीन से चार वर्गों की जिम्मेदारी दी गई है. कोई गणित पढ़ा रहा है तो वही शिक्षक सामाजिक विज्ञान भी पढ़ा रहा है. बच्चों को न तो विषय विशेषज्ञ मिल पा रहे हैं, न ही समुचित मार्गदर्शन.

प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल

यह हालात कोई एक दिन की नहीं, बल्कि लंबे समय से जारी लापरवाही का परिणाम है.

रिपोर्ट: नंद किशोर मंडल