धनबाद(DHANBAD): धनबाद के बैंक मोड़ चैंबर ने एक क्रन्तिकारी निर्णय लेकर अपने ही 35 साल से अधिक पुराने निर्णय को बदल दिया है. 35 साल बाद रविवार को बैंक मोड की दुकाने खुली. बैंक मोड़ चैंबर ने बैठक में निर्णय लिया था कि अब रविवार को भी दुकानें खुली रहेंगी. फिलहाल बैंक मोड चैंबर ने सप्ताह में सातों दिन दुकाने खोलने का निर्णय लिया है. हालांकि कर्मचारियों के लिए साप्ताहिक अवकाश पर भी बातचीत चल रही है. कर्मचारियों के सुझाव पर ही इस पर निर्णय लिया जाएगा. बता दें कि टीवी पर रामायण के प्रसारण की वजह से रविवार को साप्ताहिक बंदी का निर्णय लिया गया था. लेकिन अब मॉल कल्चर और ऑनलाइन खरीदारी से दुकानदारों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. इस संकट की वजह से दुकानदारों ने भी बदलाव करने का निर्णय लिया और इस वजह से 35 साल पहले लिए गए अपने ही निर्णय को बदल दिया. रामायण सीरियल ने 1987 में बैंक मोड़ की दुकानें रविवार को बंद रखने के लिए प्रेरित किया था. दरअसल, बैंक मोड़ की दुकानें रविवार को भी खुलती थी.
1987 में दूरदर्शन पर धारावाहिक रामायण की वजह से हुआ था निर्णय
1987 में दूरदर्शन पर रामानंद सागर की धारावाहिक रामायण का प्रसारण शुरू हुआ था. यह प्रसारण रविवार के दिन सुबह 9:30 बजे से होता था. इस दौरान बैंक मोड में सन्नाटा पसर जाता था. बड़ी संख्या में दुकानदार अपनी दुकान नहीं खोलते थे. इसको देखते हुए चैंबर ने रविवार को साप्ताहिक बंदी की घोषणा कर दी थी. तब से रविवार को बैंक मोड की दुकान बंद रहती आ रही है. लेकिन बढ़ती प्रतियोगिता और ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि रविवार को बैंक मोड की दुकाने खुली रहेंगी.फिलहाल दुकानदार ऑनलाइन बिजनेस से भी प्रभावित है. आम सभा में इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि उनकी दुकानो में खरीदारी करने वाला ग्राहक साइबर अपराधी है या आम नागरिक, इसका पता लगाने के लिए उनके पास कोई यंत्र नहीं है. संदिग्ध खातों से पैसा आने पर बैंक खाता फ्रीज करा दिया जाता है. जिसे दुकानदारों को भारी परेशानी होती है. निर्णय लिया गया था कि इस मामले को लेकर चेंबर का प्रतिनिधिमंडल अधिकारियों से मिलेगा और इस समस्या के समाधान की मांग करेगा.
बैंक खता फ्रिज होने से भी परेशान है दुकानदार
अगर कोई रास्ता नहीं निकलेगा तो चरणबद्ध आंदोलन दुकानदार करेंगे. दरअसल, होता यह है कि साइबर अपराधी किसी न किसी तरह दुकानदारों के खाते में पैसा भेज देते है. उसके बाद जांच में जब बात सामने आती है तो दुकानदारों के खाते फ्रीज कर दिए जाते है. ऐसे में उन्हें बड़ी परेशानी होती है.मामला केवल झारखंड का नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों का भी होता है और वहां की पुलिस के कहने पर बैंक खाता फ्रिज हो जाते है. ऐसे में दुकानदार परेशानी में पड़ जाते है. अभी कुछ दिन पहले ही धनबाद के एक एटीएम मशीन में कार्ड फंसने के बाद उस कार्ड से 53,000 से अधिक की खरीदारी कर ली गई थी. यह खरीदारी विभिन्न प्रतिष्ठानों से की गई थी. अब जब जांच आगे बढ़ेगी, तो दुकानदार भी जांच के दायरे में आएंगे. ऐसे में जहां से खरीदारी की गई है, खाता फ्रिज भी हो सकता है. दुकानदारों का कहना है कि वह आखिर कैसे जान सके कि उनके सामने जो खरीदार खड़ा है, वह आम नागरिक है अथवा साइबर अपराधी. इसके लिए दुकानदारों को आखिर क्यों बलि का बकरा बनाया जाता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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