टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में राजनीति से इतर अगर ज्वलंत मुद्दों की बात करें तो सबसे पहले बेरोजगारी का मुद्दा आएगा. हालांकि इसके पीछे सत्ता पक्ष, विपक्ष और राजनीति का बड़ा हाथ है, क्योंकि राज्य में न तो परीक्षाएं हो रही हैं और न ही युवाओं को नौकरी मिल रही है. अगर परीक्षाएं हो भी रही हैं तो पेपर लीक, रिजल्ट जारी न होना और रिजल्ट आने के बाद भी धांधली की मार से युवाओं को कौन बचाए? यहां परीक्षाओं का हाल ऐसा है कि आयोग जेपीएससी और जेएसएससी की परीक्षाएं निष्पक्षता से कब लेगा, इसका कोई जवाब नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जब से झारखंड राज्य अलग हुआ है, तब से राज्य में सिर्फ 13 बार ही परीक्षाएं हुई हैं और वह भी कभी ऐसी परीक्षा नहीं हुई जिसका मामला कोर्ट तक न पहुंचा हो. सिर्फ परीक्षाएं ही नहीं, आयोग का हाल भी यही है कि आयोग के मुख्य सचिव का पद भी कई महीनों तक खाली रहा.

इस साल फरवरी महीने में हेमंत सोरेन सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव एल खियांग्ते को झारखंड लोक सेवा आयोग यानी जेपीएससी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि बीते साल अगस्त के महीने से खाली मुख्य सचिव के पद पर इस साल फरवरी के महीने में हेमंत सोरेन सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एल खियांग्ते को झारखंड लोक सेवा आयोग यानि की जेपीएससी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. वहीं बीते वर्ष जेपीएससी यानि झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा 2024 के दो चरणों में हुई थी. प्रीलिम्स परीक्षा 17 मार्च 2024 को हुई थी और मुख्य परीक्षा 22 जून से 24 जून 2024 तक आयोजित हुयी थी. इसके बाद जेएसएससी सीजीएल परीक्षा 2024 का आयोजन 21 और 22 सितंबर 2024 को हुआ था. लेकिन इन परीक्षाओं में भी पेपर लीक के मामले सामने आए थे, जिसके बाद राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में छात्रों ने सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था.

हालांकि, इन विरोधों के बावजूद आयोग ने रिजल्ट जारी कर दिया था, जिसे लेकर भी जमकर विरोध प्रदर्शन हुए थे. फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है. ऐसे में यह मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है. अगर राजनीतिक पहलुओं की बात करें तो एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह कहते नजर आते हैं कि वह राज्य में युवाओं के रोजगार को लेकर गंभीर हैं, लेकिन दूसरी तरफ हमें ऐसी चीजें देखने को मिलती हैं.

अगर विपक्ष की बात करें तो नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी लगातार सफल परीक्षा आयोजित न होने को लेकर सरकार को घेरते रहे हैं. बाबूलाल मरांडी ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया एक्स पर कई बार ट्वीट भी किया है. साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई विपक्षी नेताओं ने भी सत्ता पक्ष से परीक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं. हालांकि सवाल अभी भी बना हुआ है कि आखिर कब ये परीक्षाएं निष्पक्ष तरीके से आयोजित होंगी और झारखंड के युवाओं को कब रोजगार मिलेगा?

रिपोर्ट : श्रेया