धनबाद(DHANBAD): देश की सबसे बड़ी श्रमिक कॉलोनी भी अशांति की राह पर  है.  तत्कालीन श्रम मंत्री जगजीवन राम ने श्रमिक नगरी, भूली की स्थापना कराई थी.  कोल माइंस वेलफेयर आर्गेनाईजेशन के तहत 1951  के आसपास इस कॉलोनी की स्थापना हुई थी.  लेकिन फिलहाल इस कॉलोनी के लोग  अब बीसीसीएल से लीज पर क्वार्टर मांग रहे है.  उनका कहना है कि झारखंड के दूसरे जिलों में कंपनियां अपने रिटायर्ड कर्मियों को आवास आवंटन करती है या फिर किराया लेकर रहने देती है.  इसे सेवानिवृत कर्मी आराम से जीवन जीते है.  बीसीसीएल प्रबंधन को भी भूली स्थित आवास को लीज पर आवंटित कर देना चाहिए.  कमेटी का गठन कर बीसीसीएल मैनेजमेंट को इस पर निर्णय लेना चाहिए.  भूली के कुछ लोगों को फिलहाल नोटिस दिया गया है.  15 दिनों के भीतर आवास खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है.  वैसे, बीसीसीएल का कहना है कि आवासों के साथ-साथ खाली जमीन पर भी  अतिक्रमण है.  हजारों आवास पर कब्जा है.  सैकड़ो दुकान बना ली गई है.  

भूली में रहने वाले खुद को अतिक्रमकारी नहीं मानते 

हालांकि भूली में रहने वाले इसे  अतिक्रमण या अवैध कब्जा नहीं मानते.  कहते हैं कि कई वर्षों से रह रहे है.  अब बीसीसीएल को लीज पर आवास आवंटित करने का नियम बनाना चाहिए.  कई पीएसयू में लीज पर आवास आवंटित करने का नियम है.  यह  अलग बात है कि इस कॉलोनी को बसाने के लिए भी काफी जद्दोजहद  करनी पड़ी थी.  बीसीसीएल भी कई दशकों से आवास मरम्मत का काम छोड़ दिया है.  रहने वाले लोग ही अपने स्तर से आवासों का रखरखाव, पानी एवं बिजली की व्यवस्था कर रहे है.  शुरुआती दौर में कोई भी श्रमिक भूली में रहना नहीं चाहते थे.  तब भूली के क्वार्टर पोस्ट ऑफिस, रेलवे, राज्य सरकार के कर्मचारियों सहित जालान  और मेमको में काम करने वाले प्राइवेट लोगों को भी आवास आवंटित किए गए थे.  2004 में अचानक बीसीसीएल को भूली की याद आई और रहने वाले लोगों को अवैध  एवं अतिक्रमणकारी  बताते हुए नोटिस जारी किए गए.  

बीसीसीएल बंद करे नोटिस -नोटिस का खेल 

भूलीवासी  अब मांग कर रहे हैं कि नोटिस -नोटिस का खेल बंद हो और आवास की बीसीसीएल स्थाई समाधान करे. अब  श्रमिक कॉलोनी के आवास जर्जर हो चुके है.  लोग हजारों- लाखों लगाकर आवास का रखरखाव कर रहे है.  श्रमिक कॉलोनी के लोगों का जनप्रतिनिधियों से भी मांग है कि अन्य पीएसयू की तरह बीसीसीएल, भूली के लोगों को भी लीज पर अथवा रेंट पर आवास आवंटित करे.  इधर, धनबाद कोयलांचल के कोलियरी क्षेत्रों  में धंसान  का खतरा बढ़ने के बाद भूली में लोगों को शिफ्ट करने की भी योजना भी बन रही है.   अब देखना है कि आगे -आगे होता है क्या? यहां बताना जरूरी है कि सिंदरी में जब खाद कारखाना बंद हुआ था ,उसे समय भी हंगामा हुआ था.  सिंदरी खाद कारखाने के पास भी बड़ी संख्या में आवास थे और है.  उसके बाद आंदोलन हुआ, फिर निर्णय हुआ कि सिंदरी  कारखाने में कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों को लीज पर आवास आवंटित किया जाए.  अभी भी सिंदरी  में लीज पर आवास आवंटित है और  लोग  इसमें रह रहे है. 

1951 में भूली टाउनशिप का निर्माण किया गया था

बता दे कि खनिकों को आवास की सुविधा प्रदान करने के लिए श्रम मंत्रालय के तहत कोयला खान कल्याण संगठन (सीएमडब्ल्यूओ) द्वारा 1951 में भूली टाउनशिप का निर्माण किया गया था.   भूली को 5 ब्लॉकों में विभाजित किया गया.  शुरुआत में इसमें केवल तीन ब्लॉक शामिल थे- ब्लॉक-'ए', 'बी' और 'सी', प्रत्येक ब्लॉक में 600 क्वार्टर बने.   तीनों ब्लॉक 1986 में बीसीसीएल को हस्तांतरित कर दिए गए.  1978 में दो नए ब्लॉक ('डी' और 'ई') का निर्माण सीधे बीसीसीएल के नियंत्रण में किया गया. लेकिन, इन ब्लॉकों की इमारतों को 3 मंजिला बनाया गया था, जिसमें ब्लॉक ए, बी और सी के विपरीत प्रत्येक मंजिल पर 4 क्वार्टर थे आज, भूली टाउनशिप में कुल 6011 क्वार्टर है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो