TNP DESK- प्रत्येक मास में दो एकादशी पड़ता है. पहला कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में. साल में 24 एकादशी तिथि होती है और सभी तिथि का अपना अलग अलग महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. विष्णु की स्थापना में 24 मंत्र और इतने ही विधि से पूजा एकादशी पर होती है. बड़े पैमाने पर वैष्णव रीति रिवाज से पूजा करने पर 24 शालिग्राम की 24 नामों से पूजन कर स्थापित किया जाता है. भगवान विष्णु की पूजा एकादशी को होती है इनके साथ साथ वृंदा देवी का भी हो जाता है.

5 अगस्त को है पुत्रदा एकादशी, इस विधि से पूजन करने से सुनी कोख भर जाती है

श्रावण मास शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी के रूप में जाना जाता है. इस तिथि पर भगवान विष्णु को महिलाएं अपने पुत्र के लिए दीर्घायु, बलिष्ठ, दैत्यप्यमान, शक्तिशाली, धनवान और पुत्रवान की कामना के लिए एकादशी का पूजन करती है. इस दिन भगवान विष्णु को पंचोपचार विधि जैसे दूध,घी, दही, मधु, शक्कर, चिन्नी के अलावा तुलसी पत्र, भोग, नैवेद्य अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा अन्न जो की आटा, घी,चीनी, मखाना इत्यादि से बना साकल अर्पित कर एकादशी का व्रत रखने वाली महिलाएं अगर इसका पाठ करती है या सुनती है तो उसकी सुनी कोख जल्द भर जाती है. इसलिए 5 अगस्त को पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा इस पुत्रदा एकादशी को करने वाली पुत्रहीन औरतें को संतान सुख की प्राप्ति भगवान विष्णु के आशीर्वाद से अवश्य होती है. इसदिन तुलसी का पत्र भगवान विष्णु को अर्पित करने से सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.