टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बिहार में जब से भाजपा से अलग होकर नीतिश कुमार ने सात दलों का साथ लिया, उनकी पूछ राष्ट्रीय राजनीतिक पटल पर बढ़ गई है. कभी गैर-कांग्रेसवाद की होती रही राजनीति का केंद्र अब गैर-भाजपावाद में तब्दील हो चुका है. कहा जा रहा है कि नीतिश कुमार इसकी अगुवाई करेंगे. आज दोपहर नीतिश दिल्ली इसी मकसद से रवाना भी हुए. वह वहां कई नेताओं से मिलेंगे और आगामी रणनीति पर चर्चा करेंगे. इससे पहले उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात भी की थी. इसके बाद ही राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा से देश को मुक्त कराना ही आज का राष्ट्र धर्म है. नीतीश कुमार ने उसी का संकल्प लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार से मिली इस चुनौती को बहुत गंभीरता से लिया है. इसलिए पहला मौक़ा मिलते ही उन्होंने इसे भ्रष्टाचारियों का गठबंधन बता कर इस पर आक्रमण किया है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि दरअसल भाजपा देश के स्वधर्म पर ही हमला कर रही है. गाँधी के नेतृत्व में लड़ी गई आज़ादी की लड़ाई में देश की जनता से वादा किया गया था कि आज़ाद देश में उनकी पहचान, रीति-रिवाज और परंपराओं के साथ किसी प्रकार की छेड़-छाड़ नहीं की जाएगी. हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं वाला देश है. रावण को भी अपना पुरखा मानने वाले लोगों का समूह हमारे देश में रहता है. इन सबको एक सूत्र में जोड़ कर देश की एकता बनाए रखना आज़ादी की लड़ाई के नेतृत्व के सामने गंभीर चुनौती थी. इन विभिन्न समूहों को आश्वस्त करने के लिए संविधान में विभिन्नताओं की रक्षा की गारंटी दी गई. जन्मना उंच ऊंच-नीच पर आधारित ब्राह्मणवादी हिंदू समाज व्यवस्था की मुख्य धारा से सदियों से बहिष्कृत विशाल शुद्र समाज को न सिर्फ़ बराबरी का अधिकार दिया गया बल्कि उनको मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष अवसर के सिद्धांत के आधार पर उनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की गई. दलितों. जिनको मनुवादियों ने मनुष्य की श्रेणी में नहीं रखा था. जिनकी छाया मात्र के छू जाने से ही द्विजों की पवित्रता दूषित हो जाती थी, उनको भी बराबरी का हक़ मिला. उनके साथ भेदभाव बरतने के लिए दंड का प्रावधान किया गया.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण तो बालिग़ मताधिकार के आधार पर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का प्रावधान है. एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत पर आधारित यह शासन व्यवस्था कुछ लोगों की जन्मना श्रेष्ठता के मनुवादी समाज व्यवस्था के सिद्धांत को स्पष्ट तौर पर ख़ारिज करती है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान इन सबकी गारंटी देता है. इसलिए आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात होती है तो डर लगता है. देश के खंडित होने का डर. हिंदू राष्ट्र का मतलब उसमें बाईस करोड़ मुसलमानों और क़रीब तीन करोड़ ईसाई आबादी की भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी. यह कैसी देशभक्ति है! इसलिए संविधान और लोकतंत्र पर ख़तरा का अर्थ है देश पर ख़तरा. देश की एकता और अखंडता पर ख़तरा. लंबे संघर्ष के बाद पिछड़े, अति पिछड़े, दलित, महिलाएँ और आदिवासी समाज ने अब तक जो हासिल किया है उसको खो देना. इसलिए आज का राष्ट्र धर्म है नरेंद्र मोदी सरकार को देश की सत्ता से बाहर करना. नीतीश कुमार और तेजस्वी के नेतृत्व में बना महागठबंधन इसी पवित्र काम को अंजाम देने के लिए बना है. इसी अभियान में नीतीश कुमार दिल्ली के लिए निकले हैं.
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