रांची(RANCHI): - झारखंड की हेमंत सरकार ने अपनी ताकत विधानसभा में दिखा दी है. बिना किसी जरूरत के सरकार ने यह काम अपने स्तर से किया है. सरकार को लग रहा था कि वह सदन में एक बार अपनी ताकत दिखा कर लोगों को यह बता दें कि वह पहले भी मजबूत थी और आज भी उनकी ताकत कम नहीं हुई है. सदन में उन्हें 48 वोट मिले थे. लेकिन सरकार की चिंता अभी गई नहीं है और यह बढ़ती ही जा रही है. भले ही सत्ता पक्ष के विधायकों को रायपुर में पॉलिटिकल पिकनिक मनाने के लिए रखा गया हो लेकिन क्या उन पर बीत रही थी,ये विधायक मुखर होकर तो नहीं कह पा रहे लेकिन दबी जुबां से यह कह रहे हैं कि इस तरह से होटल में बंद करके रखना गलत है.
सत्ता पक्ष के लोग खासा चिंतित
भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा मुख्यमंत्री की सदस्यता के संबंध में राजभवन को मिला लिफाफा अभी खुला नहीं है. लिहाजा इसके अंदर क्या कुछ है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. फिर भी यह आशंका जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री की सदस्यता जा सकती है. ऐसे में सत्ता पक्ष के लोग खासा चिंतित है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या लगातार यह बयान आ रहा है कि राजभवन स्थिति को स्पष्ट करें 5 सितंबर को आहूत विशेष सत्र में तो मुख्यमंत्री ने यहां तक कह डाला कि राज्यपाल ने 2 दिनों में स्थिति स्पष्ट करने या पत्र को सार्वजनिक करने की बात कही थी लेकिन वह पिछले दरवाजे से जाकर दिल्ली में बैठ गए हैं.
राज्य मुख्यालय से चौबीसों घंटे विधायकों पर रखी जा रही नजर
राज्य सरकार सत्ता पक्ष के विधायकों पर विशेष नजर रख रही है. स्पेशल ब्रांच के अधिकारी अपने तंत्र के माध्यम से सभी विधायकों के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं. राज्य मुख्यालय से चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है. इसके लिए आईजी स्तर के अधिकारी कथित रूप से लगाए गए हैं. इसके अलावा आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विपक्षी दल के प्रमुख नेताओं के मूवमेंट पर भी नजर रखी जा रही है. कुछ का तो फोन सर्विलांस पर है. सत्ता पक्ष के एक विधायक ने कहा कि भाजपा जिस प्रकार से लोकप्रिय सरकारों को डिस्टर्ब करती है, इसलिए यह सब जरूरी है.
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