मुंगेर(MUNGER): शराब माफियाओं के द्वारा छिपाए शराब को खोज-खोज के निकाल बिहार में शराब बंदी को सफल बनाने में सरकार और पुलिस विभाग की मेडी और बॉबी काफी मदद कर रहा है. इतना ही नहीं इन दोनों ने प्रमंडल के 6 जिलों में भी शराब बरामदगी में अपनी सेवा दे शराब बरामदगी के हर ऑपरेशन को सफल बनाया है. तो आइए जानते है कि आखिर कौन है मेडी और बॉबी?
मेडी और बॉबी डॉग स्क्वाड के दो जाबांज कुत्ते है जो आज बिहार सरकार के शराब बंदी को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं. ये दोनो डॉग शराब खोजी (लिकर डॉग) के नाम से भी जाने जाते हैं और ये शराब माफियाओं के द्वारा छुपाए शराब को ढूंढने में इतने माहिर है कि अपने हुनर से कहीं भी छुपे शराब को ढूंढ लेते हैं. मैडी एवं बॉबी के सहयोग से पुलिस को शराब बरामदगी करने में काफी ज्यादा सफलता मिली है. शराब खोजने के एक्सपर्ट मैडी के बेहतर प्रशिक्षण को लेकर सीआइडी विभाग के एडीजी बिनय कुमार के द्वारा वर्ष 2019 में प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया है.
चार डॉग की टीम ने कई मामलों का किया है उद्भेदन
मुंगेर पुलिस लाइन में अवस्थित प्रमंडल स्तरीय स्वांग दस्ता (डॉग स्क्वायड) के चार डॉग मेडी, बॉबी, शरेना और डिंडी ने अपने हुनर से प्रमंडल के 6 जिले मुंगेर, जमुई, लखीसराय, खगड़िया, शेखपुरा और बेगुसराय के कई मामलों के उद्भेदन में अपना योगदान दिया है. इसमें जहां शरेना एक्सप्लोसिव ढूंढने में काफी मददगार है. जो नक्सल इलाकों में पुलिस के लिए काफी मददगार साबित होती है तो डिंडी किसी भी घटना स्थल पर अपराधी के द्वारा छोड़े गए साक्ष्यों को सूंघ अपराधी का पता लगाने में माहिर है. वहीं मेडी और बॉबी शराब कलहोजने में एक्सपर्ट हैं.
हर मौसम के अनुरूप रखा जाता है खोजी कुत्तों का ध्यान
मुंगेर एसपी जग्गूनाथ रेड्डी जला रेड्डी ने बताया कि पुलिस लाइन में रह रहे लिकर डॉग एवं ट्रैकर डॉग की देखरेख के लिए कूल 10 कर्मी की नियुक्ति की गई है. डॉग स्क्वायड टीम मुंगेर डीआईजी के अंदर काम करती है और रोस्टर के अनुसार इस टीम को समय-समय पर प्रमंडल के 6 जिलों में भेजा जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि सभी खोजी कुत्ता को मौसम के अनुरूप रखा जाता है. इस दौरान खाने के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं सेहत का भी विशेष ख्याल रखा जाता है.
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