श्रीनगर(SRINAGAR): 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो खूनी खेल हुआ था उसे अब तक लोग नहीं भूले हैं. जिस तरह उस समय कश्मीरी पंडितों के साथ वहाँ पर व्यवहार किया गया था, उनकी हत्याएं की गई थी, उनके परिवार की औरतों का शोषण किया गया था, ये कभी नहीं भुलाया जा सकता. उस खून खराबे से बचने के लिए कितने ही कश्मीरी पंडितों और उनके परिवारों ने हमेशा के लिए घाटी को अलविदा कह दिया था. ऐसा लगा था कि ये सिलसिला अब खत्म हो चुका है. लेकिन ये सिर्फ एक मन को दिलासा देने के लिए ठीक था. पिछले हफ्ते जो घाटी में कश्मीरी पंडित और सिख समुदाय के लोगों के साथ जो हुआ. उस घटना ने फिर से वहाँ रह रहे कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर कर दिया है.

सरकार कश्मीरी पंडितों से अपील कर रही है कि वो कश्मीर छोड़कर कहीं ना जाए, उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.  बीते कुछ दिनों में हुई सारी हत्याओं ने सरकार की सुरक्षा के वादे को पूरी तरह झुठला दिया है. इसे सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है क्योंकि कई पत्रकारों का मानना है कि ऐसी आशंका थी कि आतंकी कुछ बड़ा करने की फिराक में है.

क्या हुआ है कश्मीर में?

पिछले कुछ दिनों में आतंकियों के द्वारा पांच से भी ज्यादा नागरिकों को मारा गया है. जिसमें एक सिख और एक हिन्दू भी शामिल है. दोनों को ही एक सरकारी स्कूल में परेड के बाद पहचान कर मार गया था. पूरी घटना की बात करें तो मंगलवार को श्रीनगर के इकबाल पार्क में बिंदरू मेडिकेट फार्मेसी के मालिक माखन लाल बिंदरू की हत्या ने कई लोगों को झकझोर दिया, वहीं एक युवा स्कूली शिक्षक दीपक चंद और प्रिंसिपल सतिंदर कौर की बाद में हुई हत्याओं का एक बड़ा प्रभाव पड़ा, क्योंकि ईदगाह के गवर्नमेंट बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल में गुरुवार को आतंकवादियों द्वारा उन्हें गैर-मुस्लिम के रूप में पहचाने जाने के बाद बाहर निकाल कर गोली मार दी गई. इसके बाद से ही कश्मीर के अल्पसंख्यक समुदायों में भय का माहौल है. कई हिन्दू परिवार अपने घर छोड़कर किसी सुरक्षित जगह चले गए हैं. तो कई परिवार जम्मू की ओर रवाना हो चुके है. उन परिवारों का मानना है कि आतंकियों ने एक हिट लिस्ट बना रखी है जिससे वे चुन-चुन कर मार रहे हैं.

कश्मीर में कितने कश्मीरी पंडित रहते हैं

कश्मीर घाटी में अभी भी 800 से 900 के लगभग कश्मीरी पंडितों के परिवार रहते हैं. इन सभी परिवारों ने 1990 में हुए खूनी खेल के बाद भी घाटी में ही रहने का फैसला किया था और तब से ही ये सभी परिवार वहीं रहते है. आंतकियों के द्वारा अभी हुए हमले के बाद करीब 70 पंडित परिवार किसी सुरक्षित जगह चले गए हैं.