टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : राज्य में सहायक पुलिस कर्मियों की स्थिति लगातार दयनीय होती जा रही है. कहने को तो सरकारी नौकरी है पर अगस्त के महीने में वह भी नहीं रहेगी. वेतन 13,000 रुपये है, पर पुलिस की ड्यूटी करके मात्र इतने रुपयों में घर चलाना बेहद मुश्किल साबित होता है. अब इन सहायक पुलिसकर्मियों का हाल ऐसा है की बेरोज़गारी का ठप्पा कभी भी इनके नाम के आगे लग सकता है, पर सरकार अभी भी मौन है.
ऐसे में अवधि विस्तार और वेतन बढ़ाए जाने की मांग को लेकर सहायक पुलिसकर्मियों ने एक बार फिर X हैंडल पर पोस्ट कर एक अलग अंदाज में लिखा है,
"सहायक पुलिस: सर अनुबंध खत्म होने जा रहा है अनुबंध और वेतन बढ़ा दिजिए.
सरकार: बजट नहीं है.
सहायक पुलिस: घर बैठे एक महिलाएं को 2500 रु मिलता है यदि एक घर में चार महिलाएं हैं तो 10,000 घर बैठे. हमारी पत्नी रिंकीया को वो भी नहीं मिलता. जबकि हम 13,000 में एक माह 24 घंटे अपनी जान जोखिम में डालकर डियुटी करते हैं. हमारे गांव में एक राजमिस्त्री 08 घंटे ड्यूटी करता है तो 700 रु लेता है. और सहायक पुलिस को केवल 433 रुपये. हमारे यहां गांव में एक मजदूर 500 रू लेता है तो हमलोगो को "सरकारी शोषित मजदूर" भी कहा जा सकता है.
सरकार: ठीक है हल्ला मत करों देख लेंगे. तबसे हमलोग चुप ही हैं."
इस पोस्ट के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड CMO, मंत्री दीपिका पांडे सिंह, मंत्री इरफान अंसारी, काँग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड पुलिस और JMM झारखंड को टैग किया गया है.
सहायक पुलिस: सर अनुबंध खत्म होने जा रहा है अनुबंध और वेतन बढ़ा दिजीए।
— 🚨Jharkhand Sahayak Police🚨 (@jhsahyakpolice) July 28, 2025
सरकार: बजट नहीं है।
सहायक पुलिस: घर बैठे एक महिलाएं को 2500 रु मिलता है यदि एक घर में चार महिलाएं हैं तो 10,000 घर बैठे। हमारी पत्नी रिंकीया को वो भी नहीं मिलता। जबकि हम 13000 में एक माह 24 घंटे अपने जान… pic.twitter.com/jMS1arJkNO
वहीं बात करे इस पोस्ट की तो यहाँ सहायक पुलिस कर्मियों और सरकार के बीच संवाद को देखा गया है, जहां सीएम साहब यह कह रहे हैं की वह सहायक पुलिस कर्मियों को देख लेंगे, साथ ही उन्होंने इन कर्मियों को चुप रहने के लिए भी कहा है, जिसके बाद से सहायक पुलिस कर्मियों ने चुप्पी साध ली है. इसके अलावा पोस्ट में सहायक पुलिस ने अपने आप को "सरकारी शोषित मजदूर" भी करार दिया है. पोस्ट के साथ एक फोटो भी है, जिसमें सीएम और सहायक पुलिस नज़र आ रहे हैं.
ऐसे में सहायक पुलिसकर्मी चाहते हैं कि झारखंड सरकार द्वारा उनके हित में कोई भर्ती निकाली जाए, या फिर इन जवानों को कहीं समायोजित करने का कोई रास्ता निकाला जाए. वहीं अगर इन सहायक पुलिस कर्मियों के लिए समय रहते समायोजन या किसी दूसरी भर्ती प्रक्रिया के तहत इन्हें रोजगार नहीं मिल तो यह लोग बेरोजगार होने को मजबूर हो जाएंगे.
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