धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में कांग्रेस के मंत्री और विधायक ही संगठन की परेशानी बढ़ा दिए है. सवाल उठता है कि क्या प्रदेश प्रभारी की लगातार काउंसलिंग भी कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों को कोई राह नहीं दिखला पा रही है. सभी पुराने ढर्रे पर ही चल रहे है. संगठन को अब सफाई देनी पड़ रही है. कांग्रेस झारखंड में अपने "हिल गई" जमीन को फिर से ठोस करने की कोशिश कर रही है. लेकिन किसी न किसी वजह से कांग्रेस चर्चा में आ ही जा रही है. प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश कह रहे हैं कि पार्टी के मंत्रियों-विधायकों और संगठन में कोई मतभेद नहीं है. सब एकजुट है. कांग्रेस नेताओं के बारे में भ्रामक खबरें चलाई जा रही है.
झारखंड में अभी हाल ही में सबसे चर्चित मामला हुआ स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी के बेटे के रिम्स पहुंचने का. इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने तो पहले ही सफाई दे दी है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष ने भी सोमवार को सफाई दी. ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह को भी नाराज होकर कथित रूप से धरने पर बैठना पड़ा था. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मंत्री दीपिका पांडे सिंह अपने समर्थकों के साथ पानी की किल्लत के संबंध में कार्यालय गई थी. उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें मंत्री को टेबल पर बैठे बताया गया था. प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि वह बैठकर जलापूर्ति शुरू होने का इंतजार कर रही थी. लेकिन इसे धरना का नाम दे दिया गया.
स्वास्थ्य मंत्री के बेटे के बारे में प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वह अपने शिक्षक को देखने अस्पताल गए थे. वहां जाकर उन्होंने किसी को निर्देश नहीं दिया और नहीं किसी कार्य में हस्तक्षेप किया. फिर भी उनके अस्पताल जाने को मुद्दा बना दिया गया. इसी प्रकार विधायक राजेश कच्छप स्मार्ट सिटी के म्यूटेशन के आदेश का कागज देख रहे थे. फिर उसे उन्होंने टेबल पर रख दिया. इस मामले को भी तूल देकर भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की गई. इधर झारखंड में विपक्षियों ने इन मामलों को लोक लिया है और तरह-तरह की बातें कहीं जा रही है. यह बात तो सच है कि झारखंड में विपक्षी दलों को अभी भी मुद्दे की तलाश है और कांग्रेस के मंत्रियों ने उनके हाथ में बैठे-बिठाये मुद्दे दे दिए है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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