टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : 21 अप्रैल को बोकारो में हुए मुठभेड़ झारखंड के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है. लेकिन इस मुठभेड़ ने चिलखारी नरसंहार की याद ताजा कर दी है. 1 करोड़ के इनामी नक्सली विवेक का साथ मारा गया अरविंद यादव भाकपा माओवादी के स्टेट एरिया कमेटी मेंबर सह नक्सली प्रवक्ता भी था. वो 2007 में हुए चिलखारी कांड का मास्टरमाइंड था. वही चिलखारी कांड जिसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपने बेटे अनूप मरांडी को खो दिया था.   

जानिए चिलखारी कांड की कहानी

26 अक्टूबर 2007 की रात गिरिडीह के चिलखारी फुटबॉल मैदान में भाकपा माओवादियों ने 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसमें झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी की भी मौत हो गई थी. चिलखारी में 26 अक्टूबर को फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल के दिन आदिवासी यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाबूलाल मरांडी के छोटे भाई नुनू लाल मरांडी थे. यात्रा कार्यक्रम के दौरान सोरेन ओपेरा कलाकारों का कार्यक्रम चल रहा था. इसी बीच माओवादियों का दस्ता कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा, मंच पर कब्जा कर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इस हमले में अनूप मरांडी, सुरेश हांसदा, अजय सिन्हा, आयोजक मनोज किस्कू, मुन्ना हेम्ब्रम, चरकू हेम्ब्रम, केदार मरांडी, उस्मान अंसारी, सुशील मरांडी समेत अग्रिम पंक्ति में बैठे 20 अन्य लोग मारे गए थे.

‘थिंक टैंक’ की तरह काम करता था अरविंद यादव

झारखंड में तीन लाख का इनामी नक्सली अरविंद यादव संगठन के लिए ‘थिंक टैंक’ की तरह काम करता था. पुलिस की रिपोर्ट मानें तो अरविंद के शातिर दिमाग, बोलने में माहिर और पढ़े-लिखे होने के कारण इतने दिनों तक पुलिस के गिरफ्त में नहीं आ सका. अरविंद यादव नक्सली संगठन के लिए काफी महत्वपूर्ण था. संगठन में नए लोगों को जोड़ने में वह माहिर था. अपनी बातों से लोगों को संगठन से जुड़ने के लिए आसानी से राजी कर लेता था.

अरविंद यादव के घर ईडी ने पहले की थी छापेमारी

बिहार के जमुई के सोनो प्रखंड के मोहनपुर में उसका आठ कमरों वाला एक मंजिला मकान आज भी मौजूद है. इसमें उसके माता-पिता आज भी रहते हैं. बताया जाता है कि उसकी पत्नी फिलहाल मुंगेर में रहती है. यह भी बताया जाता है कि उसके बच्चों ने उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त की है. इससे पहले ईडी ने उसके घर पर भी छापेमारी की थी.

सूत्रों के अनुसार इनामी नक्सली अरविंद यादव का बंगाल के आसनसोल में भी मकान है. चार साल पहले जब पुलिस ने आसनसोल स्थित उसके मकान पर छापेमारी की थी तो वह अपनी पत्नी के साथ वहां से चला गया था. उसकी पत्नी नियमित रूप से आसनसोल में रहती थी. फिलहाल उसकी पत्नी मुंगेर में रह रही बताई जाती है. अरविंद यादव का ससुराल सोनो के दुबेडीह गांव में बताया जाता है. हमेशा घड़ी पहनने का शौकीन अरविंद जहां नक्सली संगठन का मुख्य थिंक टैंक था, वहीं पुलिस और स्थानीय लोगों के लिए वह खौफ का सबब बना हुआ था.

अरविंद यादव कैसे बना माओवादी

अरविंद यादव जमुई, मुंगेर और लखीसराय जिले में लंबे समय तक नक्सली गतिविधियों का संचालन करता रहा है. वह चरकापत्थर थाना क्षेत्र के लालीलेबार पंचायत के भेलवा मोहनपुर गांव का रहने वाला है. संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी, इसी वजह से वह झारखंड और सीमावर्ती इलाकों में लगातार सक्रिय रहता था. वह 2000-2001 के दौरान नक्सल संगठन में शामिल हुआ था. बताया जाता है कि जमीन विवाद के कारण उसने नक्सली बनने का फैसला किया था.