रांची(RANCHI)- रामगढ़ उपचुनाव में मिली कांग्रेस की हार ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सामने चुनौतियां पेश कर दी है, कांग्रेस के कुछ नेताओं के द्वारा इसका ठिकरा प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के माथे फोड़ने की कोशिश की जा रही है, इस हार को राजेश ठाकुर की राजनीतिक और रणनीतिक विफलता बताया जा रहा है. यहां तक की उनसे इस्तीफे की मांग भी की जा रही है.
कांग्रेस की सामूहिक विफलता है रामगढ़ उपचुनाव
लेकिन राजेश ठाकुर इसे अपनी राजनीतिक और रणनीतिक विफलता मानने के बजाय कांग्रेस की सामूहिक विफलता बता रहे हैं, उनका दावा है कि कांग्रेस ने इस चुनाव को बड़ी शिद्दत से लड़ा, लेकिन चुनाव में हमें हार मिली, हमें इस हार को भी शालीनता के साथ स्वीकार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पूरे चुनावी कैंपेन के दौरान सभी मंत्री, कार्यकारी अध्यक्ष और दूसरे नेता-कार्यकर्ता लगे हुए थें. बावजूद इसके हमें हार मिली. रामगढ़ की जनता ने हमारे विरुद्ध मतदान किया, हमे इस हार से सबक लेकर नई रणनीतियां बनानी होगी, हार की समीक्षा करनी होगी.
होली का ठिठोली बता कर टाल दिया अपने इस्तीफे की मांग का सवाल
जब राजेश ठाकुर का ध्यान इस ओर दिलाया गया कि कांग्रेस कुछ नेताओँ के द्वारा उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही है, तो इसे होली की ठिठोली बता कर उनके द्वारा मामले को शांत करने की कोशिश की जाने लगी. उन्होंने कहा कि होली के अवसर पर इस प्रकार की ठिठोली चलती ही रहती है, इसे ज्यादा गंभीरता से लेने की जरुरत नहीं है.
इरफान अंसारी ने भी उठाये थे सवाल
यहां यह भी बता दें कि निलंबित विधायक और कोलकता कैश कांड के आरोपी इरफान अन्सारी ने इस हार पर सवाल खड़े किये थें, उनका कहना था कि रामगढ़ में इतनी बड़ी अल्पसंख्यक आबादी के बावजूद भी कांग्रेस को हार का सामना करना कई प्रश्न खड़े करता है, हमें इस बात का मुल्यांकन करना होगा कि आखिर अल्पसंख्यकों ने कांग्रेस का साथ क्यों नहीं दिया?
अल्पसंख्यकों ने कांग्रेस का साथ क्यों नहीं दिया?
साफ है कि इरफान अन्सारी भी इस हार को राजेश ठाकुर से जोड़ कर देख रहे हैं और प्रकारान्तर से इसे राजेश ठाकुर की विफलता बता रहे हैं. अब देखना होगा कि हार की समीक्षा के दौरान ये मुद्दे उठते हैं या नहीं या हार की समीक्षा महज एक औपचारिकता होगी.
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