धनबाद(DHANBAD): झारखंड में भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ता सक्रिय सदस्यता से क्यों मुंह मोड लिए है. यह एक बड़ा सवाल बनकर उभर गया है. सक्रिय सदस्य के लिए कई बड़े और महत्वपूर्ण लोगों ने आवेदन तक नहीं किया है. सक्रिय सदस्य बनने के लिए 3 वर्ष से सामान्य सदस्य होना जरूरी है. 50 सामान्य सदस्य बनाने होंगे. तथा ₹100 की रसीद कटानी होती है. तब जाकर कोई सक्रिय सदस्य बन सकता है. इस संबंध में भाजपा के ही कुछ लोगों का कहना है कि जो लोग पुराने भाजपा नेता रहे है. हज़ारों -हज़ार सदस्य बनाये है. उन्हें भी 50 सामान्य सदस्य बनाना पड़ता है. इस वजह से बहुत लोग सक्रिय सदस्यता से मुंह मोड़ने लगे है. सवाल कर रहे हैं कि झारखंड में सक्रिय भाजपा के बड़े नेताओं के लिए भी यह नियम क्या लागू किया गया है?
आखिर फिर से सदस्य बनाने की बाध्यता क्यों की गई है
जिन लोगों ने सदस्यता पूर्व में बनाई थी, अब उन्हें फिर से सदस्य बनाने की बाध्यता आखिर क्यों की गई है? पार्टी के सिद्धांत से बंधे होने के कारण वह चुप है. धनबाद के भाजपा नेता कहते हैं कि यह निर्णय ही बिल्कुल ठीक नहीं है. झारखंड में कई टॉप के भाजपा नेता हैं, जो सदस्य तक नहीं बनाए हैं लेकिन वह आज बड़े पदों पर बैठे हुए है. लेकिन छोटे कार्यकर्ताओं के लिए नए-नए नियम बनाए जा रहे है. पता चलता है कि धनबाद में कई दशकों से भाजपा में सक्रिय रहे पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल ने सक्रिय सदस्यता के लिए आवेदन तक नहीं किया है. इसका क्या मतलब हो सकता है. यह अलग बात है पूछने पर उन्होंने कहा कि मैंने सक्रिय सदस्यता के लिए आवेदन नहीं किया है. इसके अलावा मुझे इस संबंध में कुछ भी नहीं कहना है.
झारखंड भाजपा में क्या सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा
मतलब साफ है कि झारखंड बीजेपी के साथ-साथ धनबाद भाजपा में भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. उठा पटक की राजनीति चल रही है. इधर, यह भी जानकारी मिली है कि प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कई लोग शामिल है. फिलहाल नेता प्रतिपक्ष रहने के बावजूद बाबूलाल मरांडी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जब दोबारा भाजपा में शामिल हुए तो अंदाज था कि प्रदेश अध्यक्ष वही बनेंगे, लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब इसमें पेंच फस गया है और कुछ लोग प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए सक्रिय हो गए है. यह अलग बात है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में भाजपा को बड़ी सफलता नहीं मिली. 2019 की तुलना में सीट घट गई. एक भी आदिवासी सीट पर भाजपा की जीत नहीं हुई. देखना होगा की धनबाद सहित झारखंड बीजेपी में आगे आगे होता है क्या??
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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