धनबाद (DHANBAD): यूपीआई के जरिए होने वाली साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए नियमों में बदलाव करने की तैयारी है. इसके तहत यूपीआई पर "पुल भुगतान" की सुविधा को बंद करने की तैयारी है. इसमें कोई दुकानदार, ई-कॉमर्स कंपनियों या अन्य कोई लिंक भेज कर बिल या रकम भुगतान का अनुरोध भेजता है. यह रकम पहले से भरी होती है और ग्राहक को सिर्फ पिन डालकर मंजूरी देनी होती है. बताया जा रहा है कि इस सुविधा को 31 अक्टूबर से बंद कर दिया जाएगा. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम इस पर विचार कर रहा है और बैंकों से इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है. जानकारों का कहना है कि अधिकांश साइबर ठगी इसी भुगतान के जरिए हो रही है. माना जा रहा है कि यह सुविधा के बंद होने से इन मामलों में कमी आएगी.
जानकार सूत्रों के अनुसार साइबर ठग यूपीआई भुगतान प्रक्रिया के जरिए उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जिन्हें इसके बारे में कम जानकारी होती है. वह ऑनलाइन सेल या रिफंड जैसी किसी चीज के लिए रकम भेजने का झांसा दे देते हैं और फिर ठगी करते है. 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' या 'पुल ट्रांजेक्शन' यूपीआई का एक फीचर है, जो आपको किसी दूसरे व्यक्ति से पैसे मांगने की सुविधा देता है. मान लीजिए, आपको अपने दोस्त से 1,000 रुपये लेने है. आप अपने यूपीआई एप में जाकर दोस्त की यूपीआई आईडी डालेंगे और 1,000 रुपये की 'कलेक्ट रिक्वेस्ट' भेजेंगे. आपके दोस्त के पास एक नोटिफिकेशन जाएगा और जैसे ही वह अपना यूपीआई पिन डालकर उसे अप्रूव करेगा, 1,000 रुपये आपके खाते में आ जाएंगे.
यह फीचर दोस्तों या रिश्तेदारों से बकाया पैसा याद दिलाने के लिए बनाया गया था, लेकिन जालसाजों ने इसे अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया. इसमें धोखाधड़ी को रोकने के लिए कलेक्ट रिक्वेस्ट की सीमा को घटाकर 2,000 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन कर दिया गया था. इससे धोखाधड़ी में काफी कमी आई थी, लेकिन जालसाज फिर भी नए-नए तरीकों से लोगों को फंसा रहे थे. याद रहे सिर्फ पैसा मांगने (पुल ट्रांजेक्शन) वाले फीचर को आम लोगों के लिए बंद किया जा रहा है.
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