टीएनपी डेस्क(TNP DESK): पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण होता है. इसको लेकर पिछले कई वर्षों से मनाही की जा रही है. लेकिन किसान मजबूरी में पराली जला ही देते हैं.पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले आते हैं और इस बार भी आ रहे हैं. मंगलवार को पराली जलाने की 513 मामले सामने आए. इससे सहज समझा जा सकता है कि प्रतिबंध के बावजूद किस मजबूरी में यह काम कर रहे हैं.दरअसल रबी की खेती से पहले खेतों में पराली का निस्तारण एक बड़ी समस्या रही है. इसलिए किसान इसे जलाते रहे हैं जबकि यह काम गैरकानूनी है.सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल में पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि कुछ भी किया जाए लेकिन पराली नहीं जलनी चाहिए.
किसान ने क्या किया मजबूरी में, जानिए
पराली जलाने के मामले क्यों नहीं थम रहे,यह एक विचारणीय विषय है.राज्य सरकार किसानों को इस बात के लिए कोई विकल्प नहीं देती ताकि किसान पराली को ना जलाएं और उसे सुरक्षित तरीके से निस्तारित कर दे. पंजाब के बठिंडा से एक खबर आई है. यहां पराली जला रहे किसान इतना डर गया कि उसने कार्रवाई होने की आशंका में खुदकुशी कर ली. जानकारी के अनुसार 35 वर्षीय किसान गुरदीप सिंह अपने खेत में पराली जला रहा था उसी वक्त प्रशासनिक अधिकारी आ गए जिससे वह काफी डर गया. क्योंकि पराली जलाना गैरकानूनी है. किसान इतना डर गया कि वह घर जाकर फांसी के फंदे से झूल गया. पंजाब सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वह कोई अप्रिय कदम नहीं उठाएं. मृत किसान के परिजनों को प्रशासन ने 2 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है.
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