धनबाद(DHANBAD): देश ही नहीं ,पूरी दुनिया में कोयला उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी कोल इंडिया को अब कड़ी चुनौती मिल सकती है. यह चुनौती प्राइवेट प्लेयर्स देंगे. प्राइवेट कंपनियों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, जबकि कोल इंडिया की सहायक कंपनियों का उत्पादन उस रफ्तार में नहीं बढ़ रहा है. यह अलग बात है कि कोल् इंडिया लिमिटेड ने कई उपाय किए है. एमडीओ और आउटसोर्सिंग कंपनियों को लगाकर कोल इंडिया की सहायक कंपनियां आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. लेकिन यह कितना कारगर होगा, यह कहना थोड़ा कठिन है.
आउटसोर्सिंग कंपनियां पोखरिया खदानों से ही कोयला खनन करती है. हालांकि एमडीओ के तहत कुछ भूमिगत खदानें भी निजी कंपनियों को दी जा रही है. सूत्र बताते हैं कि कोयला कंपनियों ,जहां नेगेटिव ग्रोथ में है, वही निजी कंपनियों में उत्पादन वृद्धि दर्ज की जा रही है. प्राइवेट प्लेयर्स को चालू वित्तीय वर्ष में 203.39 मिलियन टन का लक्ष्य मिला है. अक्टूबर तक 50% से अधिक टारगेट पूरा हो चुका है. वही कोल इंडिया की सहायक कंपनियों का उत्पादन लक्ष्य 875 मिलियन टन रखा गया है. अक्टूबर तक सिर्फ 385. 519 मिलियन टन ही उत्पादन हो पाया है. मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में कोयला वितरण में कोल इंडिया के एकाधिकार को प्राइवेट कंपनियां चुनौती देंगी. जानकारी के अनुसार अब तक 133 कोयला खदानों की प्राइवेट प्लेयर्स को नीलामी की जा चुकी है. आगे 41 कोयला खदानों को नीलाम करने की बात चल रही है.
मतलब कुल प्राइवेट खदानें बढ़ेंगी. ऐसे में अगर सभी निजी कोयला खदानों में उत्पादन शुरू हुआ ,तो कोल इंडिया की सहायक कंपनियों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. यह बात भी सच है कि कोयला मंत्रालय कमर्शियल माइनिंग को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्पित है. कोयला मंत्रालय प्राइवेट प्लेयर्स को आगे बढ़ा रहा है. ऐसे में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के मकसद पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी. जिस समय कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण हुआ था, उस समय लगभग 7 लाख कोयला कर्मी कार्यरत थे. जो अब घटकर लगभग सवा दो लाख रह गए है. कोयले का उत्पादन आउटसोर्स कंपनियों के भरोसे चल रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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