धनबाद(DHANBAD): धनबाद में कोयला चोरी और अवैध खनन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पहली बार छापेमारी की है. इसकी जद में कई कारोबारी आये है. यह अलग बात है कि धनबाद में प्रवर्तन निदेशालय पहली बार धनबाद में रहकर बिहार में बालू कारोबारियों के खिलाफ जांच को पहुंची थी. लेकिन वह ईडी बिहार की थी. दूसरी बार झारखंड की ईडी एनआरएचएम घोटाले की जांच के लिए धनबाद पहुंची थी. तीसरी बार प्रवर्तन निदेशालय धनबाद में अवैध कोयले के धंधे को खंगालने के लिए पंहुचा है.
बालू ,एनआरएचम के बाद अब कोयले के अवैध धंधे पर चोट
दरअसल, धनबाद में रहकर बिहार में बालू कारोबार करने वालों ने एक बड़ा घोटाला किया था. उसकी जांच के लिए ईडी धनबाद के बालू कारोबारियों तक पहुंची थी. इस संबंध में कई गिरफ्तारियां भी हुई थी. उसके बाद एनआरएचएम में घोटाले की जांच के लिए रांची ईडी की टीम पहुंची थी और मुख्य आरोपी प्रमोद सिंह को गिरफ्तार किया था. इस बार शुक्रवार की सुबह से ही धनबाद से लेकर बंगाल तक हड़कंप मचा हुआ है. धनबाद से बंगाल तक 40 जगहों पर ईडी का रेड चल रहा है. यह रेड कोयला माफियाओं के ठिकाने पर चल रहा है. समझा जा रहा है कि कोयला चोरी और तस्करी के लिए तैयार हुए एक मजबूत नेटवर्क के खिलाफ ईडी की यह बड़ी कार्रवाई है. कोयला के मामले में इतने बड़े स्तर पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई थी.
कोयले के अवैध धंधे से "धन पशु" बने लोगों की संख्या कम नहीं है
कोयले के अवैध धंधे से "धन पशु" बने लोगों की परेशानी इस बार बढ़ सकती है. आज की कार्रवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है कि बंगाल की ईडी और झारखंड की ईडी ने मिलकर एक्शन की रूपरेखा तय की है. झारखंड में 18 जगह पर रेड चल रहा है तो बंगाल में 24 जगह पर रेड की सूचना है.
ईडी की इस कार्रवाई में अगर कोयला अधिकारियों के साथ-साथ सफेदपोश बने लोगों की पोल पट्टी खुल जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं. कोयलांचल में तो कोयला राजनीति के लिए "ताकत" देता है. नतीजा है कि हर एक दलों में उठापटक चलती रहती है.
देखते- देखते फर्श से अर्श पर पहुंचे लोगो की बढ़ सकती है परेशानी
यह बात पूरी तरह से सच है कि कोयले की खनक पर ही कोयलांचल की राजनीति चमकती है. कोयला अधिकारी, कोयला कारोबारी और राजनीति में मजबूत गठजोड़ की वजह से सरकारों को भी नुकसान होता है. अधिकारियों को भी लाभ होता है और कोयला कारोबारी देखते- देखते फर्श से अर्श पर पहुंच जाते है. धनबाद तो कोयले की राजधानी कही जाती है और धनबाद की राजनीति और कोयला कारोबार में मजबूत गठजोड़ रहता है. यही वजह है कि राजनीतिक दल के लोग कोयले के कारोबार को लेकर एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश करते है. कोयले के अवैध कारोबार में भारी कैश फ्लो होता है, राजनीतिक फंडिंग की भी बातें सामने आती रही है . राजनीति में शामिल लोग भी कोयले के कारोबार में हिस्सेदार रहे है. इसके भी खुलासे कई बार हुए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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