TNPDESK: देश में नक्सलवाद का नाम सामने जब भी आएगा उसमें माडवी हिडमा की चर्चा जरूर होगी. हिडमा देश का सबसे खतरनाक नक्सली में से एक था. लेकिन इस खतरनाक हिडमा के दिल में एक कोना ऐसा भी था जिसे उसने अपने प्यार के खातिर कठोर नहीं होने दिया. हर बात पर गोली से जवाब देने वाला कुख्यात नक्सली की भी एक प्रेम कहानी थी. जंगल से शुरू हुई और जंगल में ही खत्म भी हो गई और फिर एक साथ एक ही चिता पर अंतिम संस्कार हो गया.

16 साल की उम्र में बन गया कुख्यात नक्सली

तो चलिए एक नक्सली की प्रेम कहानी आपको बताते है. ज्यादातर लोग इसे नहीं जानते होंगे. हिडमा का जन्म छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में हुआ. गरीब परिवार में जन्मा लड़का शुरू से ही भावनाओं से भरा था. लेकिन एक ऐसा समय आया कुछ ऐसी घटना हुई जिसके बाद सभी भावनाओं को हिडमा ने खत्म कर दिया. कहा जाता है कि हिडमा की उम्र 16 साल थी तब ही उसने हथियार उठा लिया था और फिर देखते ही देखते सबसे कुख्यात नक्सली बन गया.

हिडमा PLGA ट्रेनिंग कैम्प में लड़की को दे बैठा दिल

इस बीच अब हिडमा के प्यार की भी खबरे सामने आई. जिसमें कहा जाता है कि हिडमा जब PLGA में ट्रेनिंग कर रहा था. उसी दौरान उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी. उसके आँखों में देखा और फिर खो गया. लड़की का नाम राजे था. वह खुद भी PLGA बटालियन में शामिल थी. राजे का एक निशाना एकदम सटीक रहता. हिडमा और राजे में धीरे धीरे नजदीकी बढ़ी. जिसके बाद दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे.

रात के अंधेरे में दोनों खूब बाते करते थे

कहा जाता है जब सब नक्सली साथी सो जाते थे तब हिडमा और राजे एक दूसरे के हाथ पकड़ कर अपने कैम्प के आस पास घूमते थे. दोनों इस बीच एक अलग ही दुनिया में मानो चले गए हो. जहां सिर्फ प्यार ही दिखाई दे रहा था. जब रात अंधेरी होती तो हिडमा अपने प्रेमिका राजे के कंधे पर सर रख कर कई बाते करता था. कहा जाता है कि इसी बात में एक यह भी जिक्र दोनों ने किया था की अब एक साथ जिए और मरेंगे. कोई अलग नहीं कर सकता है.

लाल सलाम के गूंज के साथ हो गई शादी

कुछ दिनों तक ऐसा चला और 2008 में शुरू हुआ प्यार कुछ दिन बाद ही शादी तक पहुंच गया. हिडमा ने शादी जरूर की लेकिन शादी की कोई रश्म अदा नहीं की गई थी. दोनों जंगल में एक पीपल के पेड़ को साक्षी मान कर एक दूजे के हो गए. इस बीच ना ढोल और ना ही बाजा बस जब दोनों ने संकल्प लिया तो लाल सलाम का नारा गुंजा और फिर दोनों एक दूजे के हमेशा के लिए हो गए.

एक साथ मिल कर कई बड़ी घटना को अंजाम दिया

अब दो शातिर दिमाग वाले नक्सली एक साथ आ गए. दोनों योजना बनाते और फिर एक साथ वारदात को भी अंजाम देने का काम करते थे. बताया जाता है कि झिरम घाटी हमले से लेकर दंतेवाड़ा CRPF जवानों की शहादत में राजे का शातिर दिमाग था और हिडमा ने उसे अंजाम तक पहुंचाया था.

आखिर में एक साथ मारे गए

लेकिन फिर आखिर में एक समय ऐसा आया. तारीख थी 18 नवंबर 2025 जब जंगल में एक बड़े नक्सली के मूवमेंट की जानकारी ग्रेहॉन्ट के जवानों को मिली. तुरंत छत्तीसगढ़-आंध्रप्रदेश की सीमा पर जवानों ने घेराबंदी शुरू की. चारों तरफ से देर रात ही जंगल को घेर लिया. और सुबह होते ही जंगल में सामना हिडमा के दस्ते के साथ हुआ. जिसमें जवानों ने हिडमा और उसकी पत्नी के साथ 7 साथियों को मार गिराया.

जब जंगल में घिरा तो राजे को गले लगा कर रोया

कहा जा रहा है कि जब हिडमा ने देखा की वह घिर गया है. और उसकी पत्नी उससे दूर थी. तुरंत उसने राजे को आवाज दी. राजे जैसे ही दौड़ कर हिडमा के तरफ बढ़ी उसके सीने में एक गोली लग गई. हिडमा इसे देखा चिल्लाया और राजे के तरफ दौड़ा और फिर उसे गले लगा लिया. अपनी बाहों में राजे को भर कर बैठ गया.  इस बीच हिडमा को भी गोली लगती है.फिर दोनों हमेशा के लिए खत्म हो जाते है. जो वादा प्यार के शुरुआत में किया था एक साथ जियेंगे और एक साथ मरेंगे. वह वादा तो हिडमा ने पूरा कर दिया.

शव घर पहुंचा तो गाँव में पसरा मातम

अब घटना के तीन दिन बाद 20 तारीख को हिडमा और उसके पत्नी का शव उसके घर आया. गाँव में एक अलग सा सन्नाटा पसरा दिखा. हर तरफ चीख पुकार मची थी. बूढ़ी माँ हिडमा का इंतजार कर रही थी लेकिन जब शव देखा तो वह खुद को संभाल नहीं पा रही थी. उसके आँखों से आँसू  निकल रहे थे और बोल रही थी की कुछ दिन पहले ही हथियार डाल कर वापस लौटने को कहा था अगर लौट आता तो आज किसी के कंधे पर नहीं आता.

एक साथ जीने मरने की कसमें खाई और एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार

दूसरे तरफ हिडमा के परिवार के लोग अंतिम यात्रा की शरूआत करते है. पूरी प्रक्रिया हुई और चिता सजाई गई. लेकिन यह दृश्य और भी भावुक करने वाला था. हिडमा और उसकी पत्नी के लिए अलग अलग चिता नहीं सजी बल्कि एक साथ एक चिता पर लेटा कर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया. यह तस्वीर पुवर्ती गाँव से निकल कर पूरे देश में चर्चा में बनी है. लोग इसे ही सच्चा प्यार बता रहे है.